कलकत्ता हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को किया रिहा, जानें क्या दिया तर्क

रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने कहा है कि सहमित से बनाए यौन संबंध प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012) के तहत अपराध (Crime) नहीं माने जा सकते हैं।;

Update: 2021-09-23 03:46 GMT

कलकत्ता हाईकोर्ट (Calcutta High Court) ने एक दुष्कर्म (Rape) के आरोपी को लेकर अहम फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट (High Court) ने 22 वर्षीय युवक और करीब 17 साल की नाबालिग लड़की (Minor Girl) से सहमति से बने यौन संबंध के मामले में युवक (Youth) को दुष्कर्म (Sex) के आरोप से मुक्त कर रिहा करने का निर्देश दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार, हाईकोर्ट ने कहा है कि सहमित से बनाए यौन संबंध प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन फ्रॉम सेक्शुअल ऑफेंसेस एक्ट (पॉक्सो) 2012 (Protection of Children from Sexual Offences Act, 2012) के तहत अपराध (Crime) नहीं माने जा सकते हैं। यदि संबंध दोनों की सहमति से हैं, तो पुरुष (Male) को केवल इसलिए दोषी नहीं ठहराया जाना चाहिए क्योंकि उसकी शारीरिक बनावट (Physical Appearance) अलग है।

बता दें कि पॉक्सो अधिनियम (POCSO Act) बच्चों की सुरक्षा के लिए है। इसका इस्तेमाल किसी व्यक्ति को परेशान करने या किसी अन्य से जबरन शादी करवाने में कतई नहीं होना चाहिए। इस मामले में युवक को निचली अदालत (Lower court) ने दुष्कर्म का दोषी माना था। उसे पॉक्सो में भी दोषी (convicted) करार दिया था। खबर लिखे जानें तक इतनी ही जानकारी प्राप्त हुई है। आगे की जानकारी की प्रतीक्षा है।

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