लोकसभा में पास हुआ केंद्रीय शैक्षिक संस्थान विधेयक 2019, जल्द भरे जाएंगे रिक्त पद

केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लंबे समय से रिक्त पड़े हुए शिक्षकों के करीब 7 हजार पद सीधी भर्तियों के जरिए भरे जा सकेंगे। इसके लिए 200 प्वाइंट रोस्टर की पुरानी व्यवस्था ही लागू होगी। जिसमें विश्वविद्यालय, कॉलेज को एक ईकाई माना जाएगा। लोकसभा में सोमवार को इससे जुड़ा हुआ ‘केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक वर्ग में आरक्षण) विधेयक 2019’ पास हो गया है।;

Update: 2019-07-02 05:23 GMT

केंद्रीय विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में लंबे समय से रिक्त पड़े हुए शिक्षकों के करीब 7 हजार पद सीधी भर्तियों के जरिए भरे जा सकेंगे। इसके लिए 200 प्वाइंट रोस्टर की पुरानी व्यवस्था ही लागू होगी। जिसमें विश्वविद्यालय, कॉलेज को एक ईकाई माना जाएगा। लोकसभा में सोमवार को इससे जुड़ा हुआ 'केंद्रीय शैक्षिक संस्थान (शिक्षक वर्ग में आरक्षण) विधेयक 2019' पास हो गया है।

इस पर हुई चर्चा में सभी दलों के करीब दो दर्जन सदस्यों ने भाग लिया जिसका जवाब देते हुए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि यह बेहद महत्वपूर्ण बिल है क्योंकि इसका संबंध समाज के हर वर्ग, एक पूरी पीढ़ी से है। मोदी सरकार की यह प्रतिबद्धता है कि किसी भी संस्थान में कोई पद एक भी दिन खाली नहीं रहना चाहिए।

उन्होंने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो लोग इसका विरोध कर रहे हैं और खुद को एससी, एसटी, ओबीसी वर्ग का हिमायती मानते हैं। आज सदन में उनके चेहरे बेनकाब हो गए हैं। जबकि एकजुटता से उन्हें इसका समर्थन करना चाहिए था। केंद्र ने संविधान का सम्मान करते हुए 103वां संशोधन किया और सामान्य वर्ग के ईडब्लयूएस वर्ग के छात्रों को भी आरक्षण का लाभ देने की कोशिश की है। यह बिल, केंद्र द्वारा पूर्व में लाए गए अध्यादेश की जगह लेगा।

कांग्रेस का तर्क

कांग्रेस के नेता सदन अधीर रंजन चौधरी और सीपीआई(एम) के पी़ आर. नटराजन ने बिल को संसद की स्थायी समिति को भेजने की मांग करते हुए कहा कि इसके दूसरे पैराग्राफ में ईडब्ल्यूएस का जिक्र नहीं है। जिससे लगता है कि इसकी ड्राफ्टिंग में कुछ गड़बड़ है। ऐसे में ईडब्ल्यूएस वर्ग को किस श्रेणी में शामिल माना जाएगा (एससी, एसटी या ओबीसी)। बिलकुल स्पष्ट नहीं है। ऐसे में बिल को संसद की स्थायी समिति के पास भेजा जाना चाहिए और मौजूदा सत्र का समय खत्म होने से पहले सरकार इसे वापस सदन की मंजूरी के लिए लेकर आए।

21 विवि ने दी रिपोर्ट

केंद्रीय मंत्री ने कहा, इस संबंध में देरी को लेकर सरकार की आलोचना करना गलत है। क्योंकि सारी समस्या वर्ष 2017 में आए इलाहबाद उच्च-न्यायालय के एक निर्णय के बाद खड़ी हुई थी। जिसमें नियुक्तियों में ईकाई विवि, कॉलेज को नहीं बल्कि विभाग को मानने का फैसला दिया गया था। इसके खिलाफ मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में पहले याचिका और उसके बाद पुनर्विचार याचिका लगाई। लेकिन दोनों खारिज होने के बाद बिना एक भी मिनट बर्बाद किए हुए हम अध्यादेश लेकर आए।

जिसकी समय-अवधि खत्म होने पर अब इस बिल को मंजूरी दिलाने के लिए लाए हैं। इस कवायद से पहले मंत्रालय ने इस पर 21 केंद्रीय विश्वविद्यालयों की एक टीम बनाकर उसके द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट का अध्ययन करने के बाद 200 प्वाइंट रोस्टर सिस्टम का समर्थन किया है। जबकि पूर्व में विभाग को ईकाई मानने पर उच्च-शिक्षण संस्थानों में एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग को प्रोफेसर और सहायक प्रोफेसर के स्तर पर नियुक्तियों में पर्याप्त भागीदारी नहीं मिल रही थी।

3 लाख से अधिक पद खाली

आंकड़ों के हिसाब से सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में शिक्षकों के कुल 3 लाख 44 हजार 714 पद रिक्त हैं। स्वीकृत पदों की संख्या 14 लाख 7 हजार 373 है, जिसमें से 10 लाख 62 हजार 669 पद भरे हुए हैं। कॉलेजों में 3 लाख 30 हजार 309 रिक्त पद हैं। इसमें रिक्त पदों की संख्या 74 हजार से अधिक है और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में यह आंकड़ा 7 हजार है।   

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