केंद्र सरकार ने घटाई जीपीएफ पर ब्याज दर, सरकारी कर्मचारियों को होगा इतना नुकसान

केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं के लिए कुल जमा रकमों पर दिए जाने वाले ब्याज की दर 1 जुलाई 2020 से 30 सितंबर 2020 तक 7.1 प्रतिशत करने का फैसला किया है।;

Update: 2020-08-06 07:47 GMT

केंद्र सरकार ने वर्ष 2020-21 के दौरान सामान्य भविष्य निधि तथा उसी प्रकार की अन्य निधियों के अभिदाताओं के लिए कुल जमा रकमों पर दिए जाने वाले ब्याज की दर 1 जुलाई 2020 से 30 सितंबर 2020 तक 7.1 प्रतिशत करने का फैसला किया है। केंद्र के निर्णय के अनुरूप छत्तीसगढ़ सरकार ने भी अपने कर्मियों के लिए जीपीएफ की यही ब्याज दर तय की है। इस संबंध में राज्य के कर्मचारी नेताओं का कहना है कि ब्याज दर में कमी करना केंद्र व राज्य सरकार का एक गलत फैसला है। इसकी वजह से शासकीय कर्मचारियों को हजारों रुपए का नुकसान होगा।

केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय से संबंधित आर्थिक कार्य विभाग (बजट प्रभाग) ने 13 जुलाई को इस संबंध में संकल्प जारी किया था। बाद में भारत के राजपत्र में इसका प्रकाशन किया गया। केंद्र के इस निर्णय पर अमल करते हुए राज्य सरकार ने सामान्य भविष्य निधियां व अंशदायी भविष्य निधियां पर अभिदाताओं की कुल जमा राशियों पर 7.1 प्रतिशत की ब्याज दर निर्धारित की है। शासकीय सेवकों को मिलने वाले वेतन का एक हिस्सा काटकर जीपीएफ में जमा किया जाता है। उस जमा पर सरकार ब्याज का निर्धारण करती है। ब्याज दर कम होने से एक तिमाही में ही कर्मियों को हजारों रुपए का नुकसान कम ब्याज दर के कारण होगा।

लगातार घट रही है जीपीएफ पर ब्याज दर

शासकीय कर्मियों को चाहे वे केंद्र के हों या राज्य सरकार के, जीपीएफ यानी सामान्य भविष्य निधि पर दिए जाने वाले ब्याज की दर का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है। पिछले कुछ वर्षों में देखा जाए, तो यह दर लगातार कम होती जा रही है। इस कमी की वजह से शासकीय सेवकों को बहुत नुकसान उठाना पड़ रहा है। ब्याज दर में कमी का नुकसान वर्तमान से लेकर भविष्य तक को प्रभावित करेगा, ये तय है।

किसी समय यही ब्याज दर 11 प्रतिशत से भी अधिक हुआ करती थी, लेकिन केंद्र सरकार ने लगातार साल-दर साल इसमें कटौती की नियमित प्रक्रिया शुरू की है। यही कारण है कि हर साल यह दर घटते-घटते 10, 9, 8.5, 8, होते हुए अब 7.1 प्रतिशत तक आ पहुंची है। माना जा रहा है, जुलाई से सितंबर तक की अवधि के लिए दरों में कमी के पीछे कोरोना का संकट जिम्मेदार है।

कर्मचारी संगठन ने कहा गलत है फैसला

इस संबंध में छत्तीसगढ़ प्रदेश तृतीय वर्ग कर्मचारी संगठन के प्रदेश अध्यक्ष विजय झा का कहना है कि हमारी जमा राशि पर ब्याज दर को लगातार कम करने का निर्णय केंद्र व राज्य सरकार ले रही है। इसके विपरीत हमारी जमा करोड़ों रुपए की राशि का सरकारें दुरुपयोग कर रही हैं, इस राशि को अन्य योजनाओं में लगाया जा रहा है। हालत ये है कि हमारा पैसा हम खुद नहीं निकाल पा रहे हैं।

अगर यही जमा राशि को हम अन्य बैकों में रखें या फिक्स डिपॉजिट करवाएं, तो अधिक लाभ मिल सकता है। सरकार को चाहिए कि हमारी जिस राशि को काटकर जीपीएफ निधि में रखा जा रहा है, उसे हमारे अकाउंट में दिया जाए, तो यह हमारे लिए बेहतर होगा। कुल मिलाकर जीपीएफ की ब्याज दरों में कटौती करना सरकार का गलत फैसला है।

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