Chandrayaan-2 Launch: चांद की किस दिशा में उतरेगा मिशन चंद्रयान 2, जानें यहां सब कुछ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से जीएसएलवी एमके- III के जरिए मिशन चंद्रयान 2 को दोपहर 2.43 पर भेजने वाला है। इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान 2 मिशन को एक घंटे पहले तकनीकी वजह से रोक दिया गया था। लेकिन इस बार सारी तैयारियों कर ली गई हैं।;

Update: 2019-07-22 07:44 GMT

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एक बार फिर सोमवार को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से जीएसएलवी एमके- III के जरिए मिशन चंद्रयान 2 को दोपहर 2.43 पर भेजने वाला है। इससे पहले 15 जुलाई को चंद्रयान 2 मिशन को एक घंटे पहले तकनीकी वजह से रोक दिया गया था। लेकिन इस बार सारी तैयारियों कर ली गई हैं।

अगर चंद्रमा पर भारत की लैंडिग सफल होती है तो यह एक इतिहास होगा क्योंकि इसरो ने चांद की साउथ पोल जगह को चुना है। जहां छाया रहती है। अभी तक किसी भी स्पेस सेंटर ने यहां लैंडिंग नहीं की है। अमेरिका, रूस और चीन ने अभी तक इस दिशा में कदम नहीं रखा है। ऐसे में यह पहला इतिहास होगा। वहीं दूसरी तरफ चंद्रयान 1 के समय इसरो ने जो लैंडिंग की थी उससे कई चीजों का पता चला था। जिसकी वजह से इस चंद्रयान 2 को यहां उतारा जा रहा है।

भारत होगा साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश

इसरो को चांद के भौगोलिक वातावरण, खनिज तत्वों और पानी के मौजूद होने की जानकारी मिली है। इस दिशा के बारे में अभी तक किसी भी देश के पास जानकारी नहीं है। बता दें कि इसरो को चंद्रयान 1 के दौरान साउथ पोल में बर्फ मिलने की जानकारी मिली थी। जिसके बाद भारत ही नहीं दुनिया के अन्य वैज्ञानिकों की इस तरफ खोज करने की दिलचस्पी बढ़ गई।

इसरो का अनुमान है कि वहां पर कई अनमोल खजाने हो सकते हैं। इसमें ऊर्जा प्रमुख है। जिसकी वजह से हम 500 सालों तक इंसान की ऊर्जा की जरूरतों को पूरा कर सकेंगे। अगर भारत इस ऊर्जा का पता लगाकर धरती पर लाता है कि इससे परमाणु, तेल और कोयले से होने वाले प्रदूषण के निजात मिल पाएगी।

साउथ पोल की खासियत

साउथ पोल काफी रोचक है क्योंकि इस हिस्से में छाया है और यह नॉर्थ पोल के मुकाबले बहुत बड़ा है। इस हिस्से में पानी होने की भी संभावना है। क्योंकि यहां पर इसरो को बर्फ होने की जानकारी मिली है। इस हिस्से पर इसरो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का इस्तेमाल करेंगी। यह एक सॉफ्ट लैंडिंग होगी।

जानें कुछ रोचक बातें...

1. जीएसएलवी-मार्क-3 रॉकेट से भेजा जाएगा भारतीय मिशन चन्द्रयान-2

2. छह सौ चालीस टन भार की है क्षमता और इस मिशन पर 9 सौ 78 करोड़ रुपये का खर्चा हुआ है

3. चंद्रयान-2 23 दिनों तक लगाएगा पृथ्‍वी का चक्कर

4. 30वें दिन चंद्रमा की कक्ष में होगा मिशन चन्द्रयान-2 और फिर 13 दिनों तक चंद्रमा का चक्कर लगाएगा

5. लैंडर विक्रम 43वें दिन ऑर्बिटर से अलग होकर, चंद्रमा के पास पहुंच जाएगा

6. इसके बाद 7 सितंबर को चंद्रयान 2 चंद्रमा के साउथ पोल में उतरेगा। उड़ान से 48 दिनों तक का होगा पूरा सफर। इस मिशन के सफल होते ही चंद्र की सतह पर उतरने वाला भारत चौथा देश होगा। 

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