ज्ञानवापी मामले पर मल्लिकार्जुन खड़गे का दो टूक जवाब, प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का किया जिक्र

कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने ज्ञानवापी मामले पर दो टूक जवाब दिया है।;

Update: 2022-05-17 08:27 GMT

वाराणसी (Varanasi) में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi mosque) का सर्वे पूरा होने के बाद अब मुस्लिम पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। लेकिन इन सबके बीच कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे (Mallikarjun Kharge) ने ज्ञानवापी मामले पर दो टूक जवाब दिया है। जिसमें उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का जिक्र किया।

एएनआई के मुताबिक, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि ज्ञानवापी मामला कोर्ट में है। लेकिन 1947 में सभी मस्जिदों, मंदिरों, धार्मिक पूजा के अन्य स्थानों की स्थिति को बनाए रखना पड़ा। इस प्रकार इसके संबंध में एक कानून भी बनाया गया। जिस दौरान उन्होंने पूजा स्थल अधिनियम 1991 का जिक्र किया और कहा कि कुछ लोगों को विभाजित करने की कोशिश कर रहे हैं।


आगे कहा कि बीजेपी अपने सदस्यों पर धावा बोलकर कांग्रेस को कमजोर करने की कोशिश कर रही है। चिदंबरम एक अच्छे वकील और अर्थशास्त्री हैं। यह उनके भाषणों, बहसों का असर है। कांग्रेस में मुखर लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। वे राज्य में निरंकुशता लाना चाहते हैं। मुस्लिम पक्ष की ओर से पूजा स्थल अधिनियम 1991 के आधार पर तर्क प्रस्तुत किए जा रहे हैं। यह भी सामने आया है कि मुस्लिम पक्ष का पूरा मामला इसी कानून पर केंद्रित है।

क्या कहता है प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991

जहां कोई पूजा करता है, उसके संबंध में 1991 में एक कानून बनाया गया था। उस समय अयोध्या विवाद अपने चरम पर था। लेकिन तब तक मस्जिद नहीं तोड़ी गई थी। इस बीच पीवी नरसिम्हा राव की सरकार ने संसद में एक कानून पारित किया, जिसमें कहा गया कि हम एक तारीख तय करते हैं, जिसके बाद किसी भी धार्मिक स्थल के मूल स्वरूप में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। कानून के मुताबिक 15 अगस्त 1947 के बाद किसी भी धार्मिक स्थल का स्वरूप नहीं बदला जाएगा। इस कानून का मकसद सभी धर्मों के धार्मिक स्थलों को रखना है, चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या चर्च हो, आजादी के बाद इसका मूल स्वरूप वैसा ही रखा जाएगा और इसकी संरचना में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा।

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