Sunday Special : कोरोना ने और गहरी की महिलाओं व पुरुषों के बीच की खाई, बराबरी करने के लिए लगेंगे इतने साल

विश्व आर्थिक मंच की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना महामारी से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आर्थिक सुधार की स्थिति में बेहद ज्यादा नुकसान हुआ है। कोरोना काल में जहां पुरुषों ने 3.9 फीसद की दर से नौकरियां गंवाई हैं, वहीं महिलाओं के मामले में यह दर पांच फीसद रही। जानिये और भी कई चौंकाने वाले खुलासे...;

Update: 2021-06-13 03:06 GMT

विश्वभर में कोरोना वायरस ने जहां करोड़ों लोगों की जिंदगियां छीन ली हैं, वहीं महिलाओं और पुरुषों के बीच बराबरी की खाई को और भी ज्यादा गहरा कर दिया है। केवल भारत जैसे विकासशील देश ही नहीं, बल्कि अमेरिका और चीन जैसे विकसित देशों में भी पुरुष और महिलाओं के बीच बराबरी की खाई बढ़ गई है।

विश्व आर्थिक मंच की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि कोरोना महामारी से पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की आर्थिक सुधार की स्थिति में बेहद ज्यादा नुकसान हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक इस महामारी ने पुरुषों से बराबरी के लिए संघर्षरत महिलाओं को एक पीढ़ी पीछे धकेल दिया है। पिछले साल तक अनुमान था कि पुरुषों और महिलाओं के बीच बराबरी आने में 99.5 साल लग सकते हैं, लेकिन अब अनुमान लगाया जा रहा है कि यह फासला 36 साल और आगे बढ़ गया है। अब पुरुषों की बराबरी तक आने में महिलाओं को कम से कम 135 साल का समय लग सकता है।


पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की नौकरियां ज्यादा गईं

विश्व आर्थिक मंच की रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोना काल में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं ने ज्यादा नौकरियां गंवाई हैं। पुरुषों की नौकरियां गंवाने की दर जहां 3.9 प्रतिशत रही, वहीं महिलाओं ने 5 प्रतिशत की दर से नौकरियां गंवा दी। रिपोर्ट में इसका कारण भी बताया गया है। इसके मुताबिक ज्यादातर महिलाएं ऐसे उद्योगों में काम करती हैं, जिन पर तालाबंदी का सबसे ज्यादा असर पड़ा। यह हालात उस समय के हैं, जबकि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई में महिलाएं भी सराहनीय भूमिका निभा रही हैं। नीचे तस्वीर में आठ महीने की गर्भवती डॉक्टर शिवानी कोविड महामारी के दौरान भी मरीजों की सेवा करती नजर आ रही हैं। शिवानी जम्मू-कश्मीर के कठुआ में तैनात हैं।


भारत की स्थिति भी चिंताजनक

भारत समेत ज्यादातर विकसित राष्ट्रों में लैंगिग समानता की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। विश्व बैंक की रिपोर्ट 'वूमेन, बिजनेस एंड द लॉ 2019' (Women, Business and the Law 2019) के अनुसार विश्वभर में महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले मात्र 75 फीसद अधिकार ही प्राप्त हैं। महिला अधिकारों की सबसे खराब स्थिति मिडिल ईस्ट में है। रिपोर्ट में सऊदी अरब सबसे कम 25.63 अंक लेकर अंतिम पायदान पर है। भारतीय उपमहाद्वीप में भारत भले ही दूसरे स्थान पर है, लेकिन वैश्विक स्तर पर 37वां नंबर है। भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे खराब स्थिति पाकिस्तान की महिलाओं की है। 

Tags:    

Similar News