DRDO ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाने के लिए बनाई कार्बाइन, जानिए खासियत

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research And Development Organization) का कहना है, इस कार्बाइन के निर्माण से केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तरह राज्य की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के शस्त्रागार का आधुनिकीकरण करने में भी सहायता मिलेगी।;

Update: 2020-12-26 11:50 GMT

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अभेद्य मारक क्षमता वाली कार्बाइन (Carbine) के फाइनल ट्रायल को भी पूरा कर लिया है। यह कार्बाइन अब भारतीय सेना के उपयोग के लिए हर स्तर से तैयार है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस कार्बाइन को डीआरडीओ (DRDO) की पुणे लैब और ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड (Ordinance Factory Board) ने मिलकर बनाया है। 

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (Defense Research And Development Organization) का कहना है, इस कार्बाइन के निर्माण से केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की तरह राज्य की केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) के शस्त्रागार का आधुनिकीकरण करने में भी सहायता मिलेगी।

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, 5.56x30 मिमी प्रोटेक्टिव कार्बाइन गर्मियों में हाई तापमान और सर्दियों में हाई एल्टीट्यूट की स्थिति में परीक्षण की एक श्रृंखला का यह अंतिम चरण (Last Stage) था। जॉइन्ट वेंचर प्रोटेक्टिव कार्बाइन (Joint Venture Protective Carbine) ने शानदार मारक क्षमता और सटीक निशाने के कड़े मानदंडों को पूरा किया है।

भीपीसी को कभी-कभी मॉडर्न सब मशीन कार्बाइन (Modern Sub Machine Carbine) भी कहा जाता है। जो 700 राउंड प्रति मिनट की दर से फायर कर सकती है। इस हथियार का प्राथमिक उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाए बिना टारगेट पर हमला करना है।  

कार्बाइन एक ऐसा हथियार है जिसमें राइफल (Rifle) की तुलना में छोटा बैरल होता है। इसे भारतीय सेना के जवान की जरूरतों के मुताबिक डिजाइन किया गया है जिससे वे दुश्मनों के छक्के छुड़ा सकें।

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