Delhi MCD Mayor Election: जानें दिल्ली नगर निगम को कब मिलेगा नया मेयर, क्यों हो रही है चुनाव प्रक्रिया में देरी

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली को जनवरी के पहले सप्ताह में मेयर मिल जाएगा।;

Update: 2022-12-14 16:15 GMT

दिल्ली नगर निगम चुनाव के परिणाम आए एक सप्ताह का वक्त हो चुका है। आम आदमी पार्टी की ओर से मेयर पद के लिए दावेदारी पेश की जा चुकी है। और दिल्ली मेयर के चुनाव की प्रक्रिया भी जारी है। एमसीडी चुनाव में आप पार्टी को मिले बहुमत के बाद भी मेयर के चुनाव में देरी हो रही है। बीजेपी ने साफ कर दिया है कि वह मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाएगी। साथ ही इस बार दिल्ली मेयर की कमान किसी महिला को दी जाएगी।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, दिल्ली को जनवरी के पहले सप्ताह में मेयर मिल जाएगा। लेकिन अभी तक नाम का जिक्र नहीं किया गया है। 15 दिसंबर तक निर्वाचन की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। चुने गए सदस्यों के नाम को नोटिफाई करके दिल्ली के उपराज्यपाल को लिस्ट भेजी जाएगी। जिसके जरिए नए नगर निगम का गठन किया जाएगा।

एमसीडी में मेयर का चुनाव कैसे होता है?

जानकारी के लिेए बता दें कि दिल्ली में मेयर का चुनाव सीधे मतदाताओं के द्वारा नहीं होता है, बल्कि निर्वाचित पार्षदों के साथ एक पूरा समूह होता है, जो दिल्ली के मेयर का चुनाव करता है। दिल्ली में निर्वाचित पार्षदों के अलावा और भी कई सदस्य एमसीडी भवन के लिए मनोनीत होते हैं। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि दिल्ली में पार्षदों के अलावा हर साल 14 विधायकों को भी एमसीडी सदन के लिए मनोनीत करती है। हर साल ये विधायक बदलते हैं।

कितने साल का होता है मेयर और निगम पार्षद का कार्यकाल

दिल्ली के मेयर पद का कार्यकाल 1 साल का होता है। जबकि पार्षदों का कार्यकाल पूरी तरह 5 साल का होता है। एमसीडी चुनाव के बाद सदन की पहली बैठक में मेयर का चुनाव होता है। जिसमें बहुमत जीती हुई पार्टी सबसे पहले अपने उम्मीदवारों के नामों को पेश करती है। इसके बाद मेयर पद को लेकर सदन में वोटिंग होती है। खबर है कि इस बार दिल्ली में महिला मेयर का चुनाव किया जाएगा। तीसरे साल अनुसूचित जाति से एक को मेयर बनाया जाएगा।

दिल्ली एमसीडी में आम आदमी पार्टी को मिला बहुमत

बता दें कि दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद 7 दिसंबर को आए परिणामों में आम आदमी पार्टी को बहुमत मिला था। एमसीडी की 250 सीटों में से 134 वार्डों पर आप पार्टी ने जीत दर्ज की थी। जबकि बीजेपी को इस चुनाव में 104 वार्डों पर ही जीत मिली। 

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