माहवारी की वजह से लड़कियों को नहीं छोड़ना पड़ेगा स्कूल: डॉ. हर्षवर्धन
माहवारी के चलते अब देश में लड़कियों को अपनी स्कूली पढ़ाई बीच में ही नहीं छोड़नी पड़ेगी। इसके लिए सरकार आने वाले समय में अलग-अलग राज्यों के कुल करीब 14 हजार सरकारी स्कूलों में सेनेट्री नेपकिन मुहैया कराने वाली वेंडिंग मशीनें लगाने जा रही है। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इनमें नेपकिन को प्रयोग करने के बाद उसे बेहद सुरक्षित ढंग से नष्ट कर देने वाली मशीन भी लगाई जाएगी जिससे स्कूल के पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।;
माहवारी के चलते अब देश में लड़कियों को अपनी स्कूली पढ़ाई बीच में ही नहीं छोड़नी पड़ेगी। इसके लिए सरकार आने वाले समय में अलग-अलग राज्यों के कुल करीब 14 हजार सरकारी स्कूलों में सेनेट्री नेपकिन मुहैया कराने वाली वेंडिंग मशीनें लगाने जा रही है। इस प्रोजेक्ट की खास बात यह है कि इनमें नेपकिन को प्रयोग करने के बाद उसे बेहद सुरक्षित ढंग से नष्ट कर देने वाली मशीन भी लगाई जाएगी जिससे स्कूल के पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होगा।
यह जानकारी शुक्रवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान विभिन्न दलों के सांसदों द्वारा पूछे गए प्रश्नों के जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने दी। उन्होंने कहा कि इस वक्त केंद्र सरकार के चार मंत्रालयों (एमएचआरडी, स्वास्थ्य, ड्रिंकिंग वाटर एंड सेनिटेशन और फॉर्मास्युटिकल) ने इस परियोजना को धरातल पर क्रियान्वित करने और माहवारी की वजह से उच्च-प्राथमिक स्तर पर स्कूलों में घट रहे लड़कियों के ड्रॉपआउट रेट को बढ़ाने के लिए संयुक्त रुप से काम करना शुरु कर दिया है।
जीएसटी हटाया
उन्होंने यह भी बताया कि वर्ष 2018 में 500 स्कूलों में सेनेट्री नेपकिन मशीनें लगाई गई थीं। लेकिन अब इसका आंकड़ा बढ़कर 14 हजार तक पहुंच जाएगा। कांग्रेस के समय में भी इसके प्रयास किए गए थे। लेकिन तब चुनी हुई कंपनी एचएलएल के साथ गुणवत्ता को लेकर कोई मसला हुआ था। लेकिन अब ऐसा कोई विवाद नहीं है। बीते पांच सालों में केंद्र की ओर से इस योजना पर विभिन्न राज्यों में प्रोजेक्ट शुरु करने के लिए 239 करोड़ रुपए निधार्रित कर दिए गए हैं। एक प्रकार से राज्यों को सीधे यह अधिकार दे दिया गया है कि वह इस प्रोजेक्ट को शुरु करें।
उधर केंद्र की ओर से पहले सेनेट्री नेपकिन पर जीएसटी हटाया गया और अब फॉर्मास्युटिकल विभाग ऐसे नेपकिन बना रहा है जिन्हें उपयोग करने के बाद नष्ट करने की प्रक्रिया ऐसी होगी कि जिससे उन्हें दुबारा प्रयोग में भी लाया जा सकेगा। आईसीएमआर भी कुछ अच्छे और सस्ते उत्पाद बनाने को लेकर शोध कर रहा है। स्कूलों में शौचालयों की समस्या पहले ही केंद्र द्वारा दूर कर दी गई है।
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