मनी लांड्रिंग मामले में कंपनी की 205 करोड़ की संपत्ति की कुर्क, यह है मामला

जांच ऐजेंसी ईडी ने तमिलनाडु के चेन्नई की एक कंपनी को बड़ा झटका दिया है। ईडी ने धनशोधन मामले में एक रसायन निर्माण कंपनी और उसके प्रवर्तकों की 205 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। मद्रास उच्च न्यायालय ने रसायन निर्माण कंपनी के द्वारा दी याचिका को खारिज कर दिया है। पढ़िए क्या है मामला...;

Update: 2022-12-26 15:01 GMT

प्रवर्तन निदेशालय ने तमिलनाडु के चेन्नई की एक कंपनी को बड़ा झटका दिया है। जहां प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग मामले में एक रसायन निर्माण कंपनी और उसके प्रवर्तकों की 205 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति कुर्क की है। कुछ दिन पहले रसायन निर्माण कंपनी ने मद्रास उच्च न्यायालय में ईडी की जांच के खिलाफ याचिका दायर की थी। लेकिन उच्च न्यायालय ने कंपनी की याचिका खारिज कर दी थी।

ईडी ने मामले की जानकारी देते हुए कहा कि उसने एमजीएम मारन, एमजीएम आनंद और उनकी कंपनी 'सदर्न एग्रीफुराने इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड' की संपत्तियों को कुर्क करने के लिए धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत एक अंतरिम आदेश जारी किया। ईडी ने बताया कि कुर्क की गई संपत्तियों की कुल कीमत करीब 205.36 करोड़ रुपये है।

बता दें कि वर्ष 2007 के दौरान तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड के चेयरमैन रह चुके मारन के खिलाफ चेन्नई पुलिस की केंद्रीय अपराध शाखा ने जांच शुरू की थी। इसके तहत ही ईडी ने पीएमएलए के खिलाफ मामला दर्ज किया था। पुलिस ने यह मामला एक निजी बैंक की शिकायत के आधार पर दर्ज किया था।

ईडी ने आरोप लगाते हुए कहा कि मारन ने टीएमबीएल के अन्य निदेशकों और अधिकारियों के साथ मिलकर भारतीय शेयरधारकों से अनधिकृत विदेशी व्यक्तियों को टीएमबीएल के 23.6 प्रतिशत शेयरों की बिक्री के लिए सौदा कराया। इसके कारण से एमजीएम मारन ने इसी अवधि के दौरान भारत के बाहर 293.91 करोड़ रुपये का अघोषित प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हासिल किया था। ईडी ने आगे कहा कि भारतीय कानूनों की पहुंच से बचने के लिए एमजीएम मारन ने अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ दी और साइप्रस की नागरिकता हासिल कर ली।

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