जम्मू-कश्मीर: पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला ने 'द कश्मीर फाइल्स' की आलोचना की, बोले- ये एक प्रोपेगेंडा फिल्म

पूर्व सीएम का कहना है कि 'द कश्मीर फाइल्स' एक प्रोपेगेंडा फिल्म है। इस फिल्म ने एक ऐसी त्रासदी को जन्म दिया है जिसने राज्य की हर आत्मा, हिंदू और मुसलमानों को समान रूप से प्रभावित किया है।;

Update: 2022-03-22 07:17 GMT

जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला (Chief Minister Farooq Abdullah) ने आज विवेक अग्निहोत्री (Vivek Agnihotri) द्वारा निर्देशित 'द कश्मीर फाइल्स' (The Kashmir Files) फिल्म की आलोचना की है। पूर्व सीएम का कहना है कि 'द कश्मीर फाइल्स' एक प्रोपेगेंडा फिल्म है। इस फिल्म ने एक ऐसी त्रासदी को जन्म दिया है जिसने राज्य की हर आत्मा, हिंदू और मुसलमानों को समान रूप से प्रभावित किया है। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने एक निजी चैलन के संपादकीय निदेशक के साथ एक विशेष बातचीत में कहा कि राजनीतिक दलों का एक तत्व जातीय सफाई में रुचि रखता है। 

द कश्मीर फाइल्स फिल्म में 1990 में कश्मीरी पंडितों द्वारा कश्मीर विद्रोह के दौरान सहे गए क्रूर कष्टों की सच्ची कहानी बताती है। लेकिन पूर्व सीएम ने उस समय निष्क्रियता के आरोपों को खारिज कर दिया। उनका कहना है कि अगर लोग सच्चाई जानना चाहते हैं, तो वे उन लोगों से बात कर सकते हैं जो उन्हें सच बता सकते हैं। जैसे मुसर रजा, जो मेरे मुख्य सचिव थे, या आरिफ मुहम्मद खान जो उस समय केंद्रीय मंत्री थे।

1989 में जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट द्वारा मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया के अपहरण के बारे में बोलते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा, जिन 5 लोगों को हमने पकड़ा था वे (केंद्र) उन्हें रिहा करना चाहते थे। लेकिन मैंने ऐसा करने से मना कर दिया था। उस समय भारत सरकार का नेतृत्व बीजेपी के समर्थन वाले वीपी सिंह कर रहे थे। आगे कहा कि किसी मृत व्यक्ति के बारे में इस तरह बात करना गलत लगता है, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि उस समय के गवर्नर ने कश्मीरी पंडितों को बसों में बिठाया था। उन्होंने उनसे कहा था कि मैं तुम्हें दो महीने में वापस लाऊंगा। मुझे इन लोगों पर बल प्रयोग करना होगा और प्रतिशोध आप पर पड़ सकता है।

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