Gandhi Jayanti: 'स्वच्छ भारत' को लेकर मोदी सरकार ने चलाई ये मुहिमें, जिनकी दुनिया में हुई तारीफ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 2 अक्टूबर 2014 को गांधी जयंती (Gandhi Jayanti) के अवसर पर स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Mission) की शुरुआत की थी। जिसके बाद इस अभियान को समाज के विभिन्न वर्गों की ओर केंद्रित करने के लिए मुहीम चलाई गईं। इस वजह से स्वच्छ भारत अभियान को व्यापक स्तर पर सफल बनाया जा सका। इसके लिए दुनिया भर में मोदी सरकार की सराहना की गई।;
Gandhi Jayanti: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Abhiyan) लॉन्च करते हुए कहा थी कि, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर स्वच्छ भारत उनके लिए सर्वोत्तम श्रद्धांजलि होगी। 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन को राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में देश भर में लॉन्च किया गया था। स्वच्छ भारत अभियान (Swachh Bharat Mission) शुरू करने का मुख्य उद्देश्य था, 2 अक्टूबर 2019 तक स्वच्छ भारत के सपने को साकार करना।
स्वच्छता के लिए जन आंदोलन का नेतृत्व करते हुए, प्रधानमंत्री ने लोगों को महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। इस अभियान के दौरान प्रधानमंत्री ने नारा दिया था कि, 'न गंदगी करेंगे, न करने देंगे'। स्वच्छ भारत अभियान को केंद्र सरकार ने जनआंदोलन बनाया।
स्वच्छ भारत अभियान की सफलता के लिेए जरूरी था कि भारत के शहरों से ज्यादा ध्यान भारत के ग्रामीण क्षेत्रों पर दिया जाए। जिसके बिना सवच्छ भारत की सफलता संभव नहीं थी। इस दिशा में स्वच्छ भारत अभियान को जलशक्ति मंत्रालय के अंतर्गत- स्वच्छ भारत अभियान (ग्रमीण) और स्वच्छ भारत अभियान (शहर) दो अलग श्रेणियों में बांटा गया।
स्वच्छ भारत अभियान (ग्रमीण)
ग्रामीण भारत में मिशन का मुख्य उद्देश्य था ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के माध्यम से सफाई के स्तर में सुधार लाना और गाँवों को खुले में शौच मुक्त (ODF) बनाकर जीवन की सामान्य गुणवत्ता में सुधार लाना। साथ ही 2 अक्टूबर 2019 तक स्वच्छ भारत के दृष्टिकोण को प्राप्त करने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छता कवरेज में तेजी लाने के लिए। ग्रामीण अभियान के तहत जागरूकता सृजन और स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से स्थायी स्वच्छता प्रथाओं और सुविधाओं को अपनाने के लिए समुदायों को प्रेरित किया गया। ग्रमीण स्वच्छ भारत अभियान में लिंग पर महत्वपूर्ण सकारात्मक प्रभाव पैदा करना और विशेष रूप से पिछड़े समुदायों में सुधार करके सामाजिक समावेश को बढ़ावा देना भी लक्ष्य तय किया गया था।
राष्ट्रीय बाल स्वच्छता मिशन
स्वच्छ भारत अभियान में बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए इसका ध्यान बच्चों की तरफ अलग से केंद्रित करना आवश्यक था। इसके लिए स्वच्छ भारत अभियान के तहत 14 नवंबर 2014 को, केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गांधी ने नई दिल्ली में 'राष्ट्रीय बाल स्वच्छ मिशन' की शुरुआत की। बाल स्वच्छता मिशन मुख्यता 6 विषयों पर आधारित था। आंगनवाड़ी की सफाई, खेल के मैदान व आसपास की जगहों की सफाई, बच्चों की निजी स्वच्छता, बच्चों के लिए साफ पीने का पानी और स्वच्छ शौचालय। इस मिशन के तहत, 14 से 19 नवंबर तक बाल स्वच्छ्ता सप्ताह मनाया गया और उपरोक्त सभी विषयों में से एक को सभी राज्यों के प्रत्येक आंगनवाड़ी केंद्र के द्वारा कवर किया गया। बाल स्वच्छता मिशन की वजह से हजारों की संख्या में बच्चों की जान बचा पाना संभव हो सका।
पहले शौचालय फिर देवालय
वर्ष 2013 में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी के दौरान नरेंद्र मोदी ने नारा दिया था कि, 'पहले शौचालय, फिर देवालय'। प्रधानमंत्री मोदी का ये नारा बहुत लोकप्रिय हुआ था। इस नारे के तहत शौचायल निर्माण को भी स्वच्छ भारत अभियान का हिस्सा बनाया गया और शौचालय बनाने की दिशा में जमीनी स्तर पर कार्य किया गया। सरकार ने दावा किया कि स्वच्छ भारत अभियान के अंतर्गत भारत में 9 करोड़ से अधिक शौचालयों का निर्माण किया गया। जिस वजह से भारत के 32 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को खुले में शौच रहित बनाना संभव हुआ। अपने एक भाषण के दौरान भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी कहा था कि बड़ी संख्या में शौचायलों का निर्माण होने की वजह से लाखों गरीब लोगों को विभिन्न प्रकार की बिमारियों से बचाया गया है। खुले में शौच की वजह से होने वाली बीमारियों के कारण भारत में हर वर्ष लगभग 3 लाख लोगों को अपनी जान गवानी पड़ती थी। जिन्हें शौचालय निर्माण के जरिए बचाया जा सका।
सिंगल यूज़ प्लास्टिक बैन
स्वच्छ भारत अभियान को पूरी तरह सफल बनाने के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण था कि भारत में पॉलिथीन और प्लास्टिक के कैरी बैग के इस्तेमाल को रोका जाए। जिससे कि स्वच्छ भारत मिशन के ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस दिशा में कदम उठाते मोदी सरकार ने 2 अक्टूबर 2019 से पॉलिथीन और प्लास्टिक के कैरी बैग, प्लास्टिक के डिस्पोजेबल प्लेट और ग्लास, मिनरल वाटर की बोतलें, कोल्ड ड्रिंक पीने में इस्तेमाल होने वाली स्ट्रॉ आदि के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई। इसका एक अन्य उद्देश्य यह भी था कि सड़कों पर पड़ी प्लास्टिक खाकर गोवंश की मौत हो रही है। केंद्र सरकार के इस कदम के बाद भारत को स्वच्छ बनाने के साथ-साथ गोवंश को स्वस्थ भी रखा जा सकेगा।
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