गुजरात सरकार ने पार तापी नर्मदा रिवर लिंक परियोजना को विरोध के बाद किया रद्द, जानें इसके बारे में

हजारों आदिवासी पार तापी नर्मदा रिवर लिंक परियोजना के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए एकजुट हैं, इसी बीच अब सरकार ने इस अहम परियोजना को रद्द करने का फैसला लिया है।;

Update: 2022-05-21 12:01 GMT

गुजरात (Gujarat) की भूपेंद्र पटेल (Bhupendra Patel) सरकार ने एक बड़ा फैसला शनिवार को लेते हुए पार तापी नर्मदा रिवर लिंक परियोजना (par Tapi Narmada River Link project) को रद्द कर दिया। इस परियोजना का विरोध हजारों आदिवासी कर रहे थे। कई दिनों से स्थानीय लोग इस परियोजना का विरोध भी कर रहे थे। सैकड़ों हेक्टेयर वन भूमि, हजारों परिवार और पर्यावरण तबाही रोकने के लिए लोग सड़क पर थे।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, गुजरात के वलसाड में हजारों आदिवासी पार तापी नर्मदा रिवर लिंक परियोजना के खिलाफ अपना विरोध जताने के लिए एकजुट हैं, इसी बीच अब सरकार ने इस अहम परियोजना को रद्द करने का फैसला लिया है। पार नदी पर बांध बनाने के फैसले के विरोध में गुजरात और पड़ोसी महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों के करीब पांच हजार आदिवासी बीते सोमवार को एकजुट हुए थे।

गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने पार-तापी-नर्मदा नदियों को जोड़कर बांध बनाने का फैसला किया था। इस नदी लिंक परियोजना के दायरे में महाराष्ट्र का दक्षिण गुजरात और नासिक जिला आने वाला था। आदिवासियों ने इसके खिलाफ प्रदर्शन किया और इस संबंध में एक ज्ञापन सौंपा। नर्मदा प्रायद्वीपीय क्षेत्र में पश्चिम की ओर बहने वाली सबसे लंबी नदी है। यह उत्तर में विंध्य श्रेणी और दक्षिण में सतपुड़ा श्रेणी के बीच एक घाटी से होकर बहती है। यह मध्य प्रदेश में अमरकंटक के पास मैकाल से निकलती है।

जानें परियोजना के बारे में

बता दें कि पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना में पश्चिमी घाट के जल अधिशेष क्षेत्रों से सौराष्ट्र और कच्छ यानी गुजरात के पानी की कमी वाले क्षेत्रों में पानी स्थानांतरित करने का प्रस्ताव था। इस लिंक परियोजना में उत्तरी महाराष्ट्र और दक्षिणी गुजरात में सात प्रस्तावित जलाशय शामिल थे। 7 प्रस्तावित जलाशयों का पानी लंबी नहर के माध्यम से संचालित सरदार सरोवर परियोजना को लघु मार्ग के क्षेत्रों की सिंचाई की योजना थी। योजना में प्रस्तावित 7 बांध थे, जिसमें झेरी, मोहनकवचली, पाइखीड, चसमांडावा, चिक्कर, डाबदार और केलवान हैं। इससे सरदार सरोवर का पानी बचेगा, जिसका उपयोग सौराष्ट्र और कच्छ क्षेत्र में सिंचाई के लिए था। 

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