Gyanvapi Mosque case: क्या ज्ञानवापी मामले में हिंदुओं को मिलेगा पूजा का अधिकार?, इस वजह से मुस्लिम पक्ष की याचिका हुई खारिज
ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Mosque case) में गुरुवार को वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) से मुस्लिम पक्ष (Muslim side) को बड़ा झटका मिला है।;
ज्ञानवापी मामले (Gyanvapi Mosque case) में गुरुवार को वाराणसी कोर्ट (Varanasi Court) से मुस्लिम पक्ष (Muslim side) को बड़ा झटका मिला है। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग जैसी आकृति की पूजा करने का अधिकार, मुसलमानों की एंट्री पर रोक और ज्ञानवापी परिसर में बने अवैध ढांचे को हटाने संबंधी मामले को सुनवाई के योग्य माना है। फास्ट ट्रैक कोर्ट में सिविल जज महेंद्र पांडे इस मामले की सुनवाई की।
अब इस मामले की दिसंबर में होगी सुनवाई
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट महेंद्र कुमार पांडे ने किरण सिंह की याचिका को सुनवाई के योग्य माना है। याचिकाकर्ता किरण सिंह ने ज्ञानवापी में मुसलमानों की एंट्री को रोकने, परिसर हिंदुओं को सौंपने और शिवलिंग की पूजा करने की अनुमति मांगी थी। अब इस मामले पर अगले महीने 2 दिसंबर को सुनवाई होगी। ज्ञानवापी मामले में 15 अक्टूबर को मुस्लिम और हिंदू पक्षों की दलीलें कोर्ट में पूरी हुई थी।
साल 1991 में दर्ज हुआ था पहला मामला
मस्जिद में शिवलिंग जैसी आकृति दिखने के बाद विश्व वैदिक सनातन संस्था ने फास्ट ट्रैक कोर्ट में एक अलग याचिका दायर की थी। यह याचिका विश्व वैदिक सनातन संस्था के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह विशेन की पत्नी किरण सिंह और अन्य लोगों के द्वारा दायर की गई थी। इस याचिका में कोर्ट से हिंदू पक्ष ने मांग करते हुए कहा कि पूरा ज्ञानवापी परिसर हिंदुओं को सौंपा जाए और ज्ञानवापी परिसर के अंदर मुसलमानों की एंट्री पर रोक लगानी चाहिए। कोर्ट ने आदेश 7/11 नियम के तहत कहा कि यह मामला सुनने योग्य है। जानकारी के लिए बता दें कि काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी मामले में 1991 में वाराणसी कोर्ट में पहला मामला दर्ज हुआ था। तब भी याचिका में ज्ञानवापी परिसर में पूजा की इजाजत मांगी गई थी।