Haribhoomi Explainer: 51 साल के होने जा रहे क्रिकेट जगत के दादा, यहां पढ़िए सौरभ गांगुली की क्रिकेटर बनने से लेकर अब तक की कहानी

Haribhoomi Explainer: भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) का कल यानी 8 जुलाई को 51वां जन्मदिन है।गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में हुआ था। सौरव गांगुली के पिता का नाम चंडीदास और मां का नाम निरूपा गांगुली है। क्रिकेट जगत में सौरव गांगुली के चाहने वाले लोग उन्हें प्यार से दादा कहते हैं। गांगुली की अगुवाई में भारतीय ने कई ऐतिहासिक मुकाबले अपने नाम किए। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से क्रिकेट जगत के दादा के बारे में जानते हैं।;

Update: 2023-07-07 04:32 GMT

Haribhoomi Explainer: प्रिंस ऑफ कोलकाता (Prince of Kolkata) और रॉयल बंगाल टाइगर (Royal Bengal Tiger) के नाम से मशहूर पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली (Sourav Ganguly) कल यानी कि 8 जुलाई को 51 साल के हो जाएंगे। सौरव गांगुली ने अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल की हैं। गांगुली की कप्तानी और बल्लेबाजी स्टाइल को आज भी याद किया जाता है। भारतीय क्रिकेट (Indian Cricket) को नई पहचान दिलाने में गांगुली की अहम भूमिका है। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली के बारे में जानते हैं।

सौरव गांगुली का जन्म 8 जुलाई 1972 को कोलकाता (Kolkata) में हुआ था। उनके पिता चंडीदास गांगुली, एक व्यापारी, शहर के सबसे अमीर लोगों में से थे। क्रिकेट की ओर रुख करने से पहले सौरव को फुटबॉल में काफी दिलचस्पी थी। कोलकाता के सेंट जेवियर्स स्कूल में पढ़ाई के दौरान सौरव ने कई फुटबॉल खेल खेले। हालांकि सौरव अपने बड़े भाई की सलाह पर एक क्रिकेट अकादमी (Cricket Academy) में शामिल हो गए। जल्द ही वह क्रिकेट के प्रति जुनूनी हो गए। यहां तक ​​कि उन्होंने अपने घर पर एक क्रिकेट पिच भी बनवाई थी। 1982 में सौरव को प्रथम श्रेणी क्रिकेट खेलने का मौका मिला और उन्होंने कई अंडर-15 खेलों में अच्छा प्रदर्शन किया। उन्होंने ओडिशा के खिलाफ शतक भी लगाया था।

1992 में शुरू किया सफर

सौरव के प्रदर्शन को देखते हुए 1992 के वेस्टइंडीज दौरे के लिए चुना गया लेकिन वह वहां अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सके। वेस्टइंडीज में उनके फ्लॉप शो के कारण उन्हें फिर से टीम में आने में चार साल और लग गए। 1996 में उन्हें फिर टीम में जगह मिली। इसबार उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ एक वनडे मैच में 46 रन बनाए। उसी दौरे पर सौरव ने लॉर्ड्स में अपना टेस्ट डेब्यू किया और शतक बनाया। उन्होंने इस उपलब्धि को अगले टेस्ट मैच में भी दोहराया और मोहम्मद अजहरुद्दीन के बाद अपने पहले दो टेस्ट मैचों में शतक बनाने वाले दूसरे भारतीय बल्लेबाज बन गए। लगातार दो शतकों ने सौरभ की भारतीय क्रिकेट टीम में जगह पक्की कर दी।

1997 का सहारा कप

1997 में सौरव ने सहारा कप में पाकिस्तान के खिलाफ बहुत अच्छा प्रदर्शन किया। टूर्नामेंट के दौरान उन्हें चार बार मैन ऑफ द मैच का पुरस्कार दिया गया। गांगुली ने न सिर्फ रन बनाए बल्कि 5 विकेट भी लिए। उन्होंने 1997 में दुनिया में सबसे ज्यादा रन बनाए और उन्हें साल का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज घोषित किया गया।

श्रीलंका के खिलाफ ठोके 186 रन

1999 में सौरव को सचिन तेंदुलकर के साथ ओपनिंग करने का मौका मिला। 1999 आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में श्रीलंका के खिलाफ खेलते हुए उन्होंने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ 186 रन बनाया। उसी वर्ष, उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए पेप्सी कप में मैन ऑफ द सीरीज पुरस्कार जीता।

साल 2000 में भारतीय टीम की कमान

मैच फिक्सिंग कांड के बाद सौरव को 2000 में भारतीय कप्तान बनाया गया था। सौरभ गांगुली ने उस वक्त टीम इंडिया की कमान संभाली है जब टीम पर के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा था। उनकी कप्तानी में कई युवा क्रिकेटरों  जिनमें हरभजन सिंह, युवराज सिंह, जहीर खान और एमएस धोनी ने पदार्पण किया। उन्होंने विदेशी पिचों पर कई सफल अभियानों में भारत का नेतृत्व किया और भारतीय टीम को दुनिया की सबसे मजबूत क्रिकेट टीमों में से एक बनाया। 2003 में उनकी कप्तानी में भारत ने वनडे विश्व कप फाइनल में जगह बनाई।

हालांकि, कई मुद्दों पर कोच ग्रेग चैपल के साथ सौरव का टकराव और उनका औसत से कम प्रदर्शन एक बार फिर उनके करियर में खराब दौर लेकर आया। उन्हें कप्तान और टीम से पूरी तरह हटा दिया गया। फिर भी, उनकी दृढ़ता ने उन्हें 2007 में टीम में फिर से जगह बनाने में मदद की। हालांकि उनकी स्ट्राइक रेट में कमी आई, लेकिन सौरव अपनी वापसी के बाद रन बनाने में सक्षम थे। अपनी क्षमता साबित करने के बाद, सौरव ने 2008 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास ले लिया।

सौरव ने लगाए हैं 48 शतक भी लगाए

कुल मिलाकर सौरव ने 311 वनडे और 113 टेस्ट मैच खेले। अपने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर के दौरान उन्होंने 18,575 रन बनाये। वह सचिन तेंदुलकर के बाद वनडे में 10,000 रन बनाने वाले दूसरे खिलाड़ी थे। क्रिकेट विश्व कप में किसी भारतीय बल्लेबाज द्वारा सर्वोच्च व्यक्तिगत स्कोर (183) का रिकॉर्ड अभी भी उनके पास है। इसके अलावा सौरव ने 48 शतक भी लगाए। बाद में उन्होंने एक आत्मकथा ए सेंचुरी इज नॉट इनफ लिखी।

अक्टूबर 2019 में, सौरव को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अध्यक्ष के रूप में चुना गया था। बीसीसीआई अध्यक्ष के रूप में, उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में गुलाबी गेंद की शुरुआत की। उन्होंने अपने घरेलू मैदान - ईडन गार्डन्स, कोलकाता में दिन-रात टेस्ट क्रिकेट की मेजबानी में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

खेल के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए सौरव को स्पोर्ट्स स्टार पर्सन ऑफ द ईयर, अर्जुन अवार्ड, सीएट इंडियन कैप्टन ऑफ द ईयर, पद्म श्री 2004 और राममोहन रॉय अवार्ड से सम्मानित किया गया है।

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