Haribhoomi Explainer: भारत में क्यों जरूरी है जनसंख्या नियंत्रण कानून, यहां जानिए बढ़ती आबादी से बढ़ती समस्याएं

Haribhoomi Explainer: भारत आज जनसंख्या के मामले में दुनिया का नम्बर वन देश बन गया है। बढ़ती जनसंख्या भारत की उपलब्धि तो नहीं लेकिन आफत जरूर बन रही है। बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए जनसंख्या नियंत्रण कानून की सख्त जरूरत है। आइये आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से जानते हैं कि क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून और साथ ही जानेंगे बढ़ती जनसंख्या से बढ़ती समस्याओं के बारे में...;

Update: 2023-06-02 06:16 GMT

Haribhoomi Explainer: किसी देश की आबादी को देश का साधन एवं साध्य दोनों ही माना जाता है। लेकिन आवश्यकता से अधिक आबादी किसी भी देश के आर्थिक, सामाजिक व राजनीतिक विकास में बाधा होती है। दुनिया की लगभग 17% आबादी भारत में निवास करती है। इसी कारण से भारत दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देशों में से एक है। लगभग सभी विकासशील देशों की तरह ही भारत में भी आबादी बढ़ने के कई कारण हैं। भारत में बढ़ती आबादी को रोकने के लिए बहुत समय से ही जनसंख्या नियंत्रण कानून बनाने की मांग उठती है, हालांकि, कुछ दल इसका विरोध भी करते हैं। आइये जानते हैं कि आखिर क्या है यह कानून जिससे रुक सकती है भारत की आबादी...

क्या है जनसंख्या नियंत्रण कानून

भारत में 2019 में एक बिल पेश हुआ था जिसे जनसंख्या नियंत्रण बिल कहा गया था। इस बिल के अनुसार, प्रत्येक कपल टू चाइल्ड पॉलिसी को अपनाएगा, यानी कि सिर्फ दो संतान। इस बिल का उद्देश्य शैक्षिक लाभ, बेहतर स्वास्थ्य सेवा, रोजगार के अवसर, होम लोन और टैक्स कट के माध्यम से इसे अपनाने को प्रोत्साहित करना था। हालांकि, इस बिल को 2022 में वापस ले लिया गया था।

संविधान में कितना जायज जनसंख्या नियंत्रण कानून

1969 के डिक्लेरेशन ऑन सोशल प्रोग्रेस एंड डेवलपमेंट के 22वें अनुच्छेद में यह सुनिश्चित किया गया है कि कपल को इस बात की पूरी स्वतंत्रता है कि वह निर्णय ले सकें कि उनकी कितना संताने होंगी, जनसंख्या नियंत्रण कानून इस अनुच्छेद का उल्लंघन करता है।

कब-कब पेश हुआ यह कानून

टू चाइल्ड पॉलिसी को आजादी के बाद से अब तक 35 बार संसद में पेश किया जा चुका है। लेकिन विरोध प्रदर्शन के चलते हर बार वापस लेना पड़ा है।

जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध

जनसंख्या नियंत्रण कानून का विरोध तमाम अल्पसंख्यक समुदाय करते हैं। विशेषकर मुस्लिम नेताओं का कहना है कि ये कानून नहीं बनाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून की बजाय अलग-अलग तरह से लोगों को प्रोत्साहित किया जा सकता है। लोगों को बैंक लोन, ब्याज, रोजगार जैसी अलग-अलग चीजों में राहत देकर इसे ठीक किया जा सकता है। मुस्लिम समुदाय के अलावा देश के कई अन्य अल्पसंख्यक समुदाय भी इस कानून का विरोध करते हैं। इनमें पारसी, बौद्ध, जैन, ईसाई समाज के लोग शामिल हैं।

आबादी का बढ़ता स्तर

भारत में बढ़ती आबादी लगातार गंभीर समस्या बनती जा रही। बढ़ती आबादी के वजह से भारत विकास के मामले में और देशों की तुलना में काफी पीछे चल रहा है। भारत में आबादी बढ़ने से बेरोजगारी व गरीबी एक जटिल समस्या बनती जा रही है। व्यापार, विकास और विस्तार की गतिविधियां आवश्यकता से अधिक धीमी हो गई हैं। इस कारण आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ रहा और आगे भी ये एक विकराल रूप ले सकती है। समस्याएं केवल यहीं तक सीमित नहीं रहीं बल्कि जंगल, वन, वनस्पतियां, जल संसाधन समेत तमाम प्राकृतिक संसाधनों की भी कमी होती जा रही है। खाद्य उत्पादन और वितरण भी आबादी के मुकाबले कम ही हो रही है। आबादी बढ़ने के कारण हर जगह लोगों को घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। अस्पतालों, रेलवे स्टेशनों, बस अड्डों, धार्मिक या सामाजिक समारोह में इतनी भीड़ हो जाती है कि इंसान सही से खड़ा भी नहीं हो सकता है।

बढ़ती आबादी के दुष्परिणाम

भारत में बढ़ती आबादी का सबसे बड़ा दुष्परिणाम यह है कि आज भारत में गरीबी रेखा से नीचे वालों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। कम मात्रा में भोजन मिलने के कारण लोगों का शारीरिक व मानसिक विकास नहीं हो पा रहा है। गर्मी में धूप व लू और सर्दी में हड्डियां गला देने वाली शीतलहर से बचने के लिए कपड़ों आदि की भी देखी जा सकती है।

बेरोजगारी

भारत में बेरोजगारों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है। लगातार बढ़ती जा रही आबादी के कारण जितने लोगों को रोजगार मिल रहा है उससे दो गुने लोगों बेरोजगार हो जाते हैं। जितने व्यक्तियों को काम दिए जाते हैं उनसे दुगने लोग बेरोजगार हो जाते हैं। सरकार ने आबादी को कम करने के कई उपाय खोजे हैं, लेकिन इसके बाद भी आबादी लगातार बढती ही जा रही है। आबादी में वृद्धि के कारण देश का संतुलन बिगड़ता जा रहा है।

गरीबी

देश में आबादी के बढ़ने से देश में लोगों के आवश्यकता अनुसार साधन जुटा पाना काफी मुश्किल हो जाता है। क्योंकि एक सीमित मात्रा में ही हमें प्रकृति से संसाधन प्राप्त हो पाते हैं। इसकी वजह से गरीबी की समस्या पैदा होती जा रही है।

महंगाई

भारत में महंगाई के बढ़ने के अनेक कारण हैं जैसे आबादी का बढ़ना, उत्पादों की कम होना, वस्तुओं और उत्पादों की कालाबाजारी होना, वस्तुओं और उत्पादों की कीमत को बढ़ा देना आदि। महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण विश्व की एक बहुत ही जटिल समस्या बनती जा रही है, जो लगातार बढ़ ही रही है। बढ़ती आबादी पर रोक न लगाई गई, तो जल्द ही मंहगाई बेलगाम हो जायेगी।

शिक्षा का अभाव

भारत में शिक्षा की समस्या भी एक विकराल रूप धारण कर चुकी है। आबादी के बढ़ने के वजह से लोगों को उचित व पर्याप्त शिक्षा नहीं मिल पा रही है। शिक्षा की कमी के कारण लोगों को रोजगार के अवसर भी काम मिलते हैं और बेरोजगारी और बढ़ जाती है। जब आबादी कम होगी तो लोग बेहतर शिक्षा पायेंगे और देश तेजी से आगे बढ़ेगा।

आबादी को रोकने के लिए सरकार के पहल

भारतीय आबादी को कम करने के लिए भारत सरकार ने पहल की हैं। सरकार ने पुरुषों के लिए न्यूनतम विवाह आयु 21 वर्ष और महिलाओं के लिए 18 साल कर दी है। भारत सरकार ने बच्चों को मुफ़्त शिक्षा अनिवार्य कर दी है। कानून के अधिकार के जरिए भारत के बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। आबादी को कम करने का एक और तरीका है निरक्षरता को खत्म करना। भारत सरकार बच्चों को गोद लेने के प्रक्रिया को भी बढ़ावा दे रही है। ऐसे कई लोग ऐसे भी हैं, जो विभिन्न कारणों से अपने बच्चों को जन्म देते हैं। अपने स्वयं के बच्चे करने की बजाए बच्चों को अपनाना आबादी को नियंत्रित करने का एक उचित तरीका साबित हो सकता है।

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