Haribhoomi-Inh Exclusive: यहां देखें प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ उपचुनाव में हार के बाद कांग्रेस के गिरते ग्राफ और उठते सवाल पर खास 'चर्चा'

Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम चर्चा में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कांग्रेस के 23 नेताओं की चिट्ठी और उपचुनाव के बाद कांग्रेस के गिरते ग्राफ और उसको लेकर उठते सवालों पर कई तीखे सवाल पूछे।;

Update: 2020-11-24 15:38 GMT

Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम चर्चा में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कांग्रेस के 23 नेताओं की चिट्ठी और उपचुनाव के बाद कांग्रेस के गिरते ग्राफ और उसको लेकर उठते सवालों पर कई तीखे सवाल पूछे। कांग्रेस के लगातार गिरते ग्राफ के बीच पार्टी के अंदर ही नेतृत्व पर उठते सवालों पर कांग्रेस के कायाकल्प करने के सुझाव वाली 23 नेताओं की चिट्ठी पर उठा बवाल अभी पूरी तरह शांत भी नही हुआ था। कि बिहार और कई राज्यों में उपचुनावों में मिली हार के बाद पार्टी का अंतर्कलह फिर सतह दिखाई दे रहा है जहां एक ओर अगले महीने कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव होना संभावित है।

चर्चा में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश पांडेय, वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद जोशी, राजनैतिक विश्लेषक श्रवण गर्ग और कांग्रेस पूर्व सांसद प्रतापभानु शर्मा मौजूद रहे। चर्चा की शुरूआत में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने कहा कि हमारी इस खास चर्चा में एक बार फिर कांग्रेस पार्टी के अंदर चल रही कलह पर से गिरते ग्राफ और पार्टी के नेतृत्व पर उठते सवालों पर चर्चा होगी। बिहार और कई राज्यों में चुनावों में मिली करारी हार के बाद पार्टी की अंतर कलेक्शन साफ दिखाई दे रहा है।


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कांग्रेस पार्टी में अंतर्कलह

ऐसे में अगले महीने कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव होना है। वहीं उसके पहले ही नेताओं के बयान से सवाल उठने लगे हैं। हार की नीति पर बयान देने वाले नेता कपिल सिब्बल तो निशाने पर थे ही। उन्होंने कहा है कि इतने करीब मिली हार की समीक्षा भी होनी चाहिए। वहीं गुलाम नबी आजाद ने कहा कि पांच सितारा होटल वाली संस्कृति से पार्टी को निजात पाना होगा। पार्टी का पूरा ढांचा बिगड़ चुका है। अधीर रंजन चौधरी ने तो कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को आईना तक देखने की सलाह दे डाली है। इन सवालों राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि यह पार्टी की बातें हैं और इसकी चर्चा मीडिया से नहीं होनी चाहिए।

बिहार चुनाव और उपचुनाव के बाद कांग्रेस का गिरता ग्राफ

गांधी परिवार के नेतृत्व में बिहार चुनाव कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी चुनौती साबित हुआ। कांग्रेस अपने अवसरों को खो देती है। ऐसा ही बिहार में हुआ है, जहां सहयोगी राजद ने 110 सीटें जीतीं, एनडीए को चुनावों में हार का सामना करना पड़ा, जो 15 साल की सत्ता-विरोधी सत्ता के बावजूद 125 सीटों के साथ थी। यहां यह नोट करना उचित है कि कांग्रेस द्वारा लड़ी गई 70 सीटों में से वे केवल 19 सीटें ही जीत पाईं।

कांग्रेस के 23 नेताओं की चिट्ठी पर बवाल

वहीं दूसरी तरफ 23 वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को एक पत्र लिखा था। जिसमें मांग की गई है कि बिहार में चुनाव पर चर्चा के लिए तत्काल सीडब्ल्यूसी की बैठक बुलाई जाए। उन्होंने कथित तौर पर पार्टी अध्यक्ष पद के लिए संगठनात्मक चुनावों की मांग की है। पांच सीडब्ल्यूसी सदस्यों ने एक पत्र भेजा था। बिहार चुनाव प्रचार के दौरान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा शिमला में नेतृत्व करने के बजाय छुट्टियां मना रहे थे। इस पत्र में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व में विश्वास की कमी की ओर इशारा किया गया था। हालांकि सीडब्ल्यूसी ने मतदान प्रक्रिया शुरू की थी। लेकिन अंदरूनी सूत्रों का मानना ​​है कि यह एक बार फिर से एक सर्वसम्मत/निर्विरोध मतदान प्रक्रिया होगी। इसके अलावा, शिमला की छुट्टी के दौरान उनकी अनुपस्थिति कांग्रेस नेताओं के साथ अच्छी तरह से नहीं बैठी।

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