Haribhoomi-Inh Exclusive: गीता जयंती पर E सार्थक संवाद में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने संत संजीव कृष्ण ठाकुर से की चर्चा
Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने आज गीता जयंती की 5157वी वर्षगांठ पर E सार्थक संवाद में गौभक्त संजीव कृष्णा ठाकुर से चर्चा की।;
Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने आज गीता जयंती की 5157वी वर्षगांठ पर E सार्थक संवाद में गौभक्त संजीव कृष्णा ठाकुर से चर्चा की। E सार्थक संवाद की शुरुआत करते हुए कहा कि आज का दिन विेशेष है, क्योंकि आज मुख्यत एकादशी है। मार्ग शीर्ष शुल्क पक्ष की एकादशी। इसका हिंदू धर्म (सनातन धर्म) में आज ही वह दिन है जिस दिन श्रीमद्भगवद्गीता भगवान कृष्ण के माध्यम से हमें प्राप्त हुई थी। कुरुक्षेत्र के युद्ध में ऐसा बताया जाता है कि जब अर्जुन विसाद ग्रस्त थे, सामने अपने परिजनों को ही देखकर जब उनका गंड्य उठाने का सामर्थ नहीं रहा था।
जब वह अपने कर्तव्य से विमुख होने की प्रतिशील थे। ऐसे समय पर उन्हें कर्तव्य के मार्ग पर लाने के लिए भगवान कृष्ण के द्वारा जो कुछ कहा गया, वो श्रीमद्भगवद्गीता के रुप में हमारे बीच में है। 700 श्लोकों में सहित या पुस्तक या शास्त्र हमारे जीवन के तकरीबन 5 हजार साल से भी ज्यादा आधारभूमि बना हुआ है। सनातन धर्म के अंतर्गत हमारे पास कई ग्रंथ हैं। जिसके अंतर्गत 4 वेद हैं। तमाम उपनिशद हैं। ब्रहाम्ण ग्रंत हैं। लेकिन इन सब के बीच में जिस प्रकार की लोक के अंतर्गत मान्यता कीमत श्रीमद्भगवद्गीता को मिली है। उस प्रकार के स्वरूप किसी और पुस्तक को नहीं मिला। इस पर प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने संत संजीव कृष्ण ठाकुर जी से चर्चा की।
डॉ. हिमांशु द्विवेदी की संत संजीव कृष्ण ठाकुर जी से खास चर्चा
बता दें कि श्रीमद्भगवद्गीता दुनिया का सबसे श्रेष्ठ ग्रंथ है। आज ही के दिन कुरुक्षेत्र में अर्जुन को भगवान कृष्ण ने उपदेश दिया था, तभी से गीता आज के लिए गीता जयंती मनाई जाती है।