Haribhoomi INH Exclusive: पं. विजयशंकर मेहता जी से खास बातचीत, अक्षय तृतीय परशुराम जन्मोत्सव पर संवाद प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने ई-सार्थक संवाद की शुरुआत में कहा कि ई सार्थक संवाद के तहत आज हम बात कर रहे हैं। आज अक्षय तृतीया है और भगवान परशुराम की जयंती है।;
Haribhoomi-Inh Exclusive: हरिभूमि-आईएनएच के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने ई-सार्थक संवाद की शुरुआत में कहा कि ई सार्थक संवाद के तहत आज हम बात कर रहे हैं। आज अक्षय तृतीया है और भगवान परशुराम की जयंती है। इसे अब जयंती कहे या ना कहें। इस पर भी विवाद हो सकता है, क्योंकि भगवान परशुराम सृष्टि में जो 8 चिरंजीव हैं। उनमें से एक हैं और जो जीवित हैं उनके संदर्भ में जयंती कहा जाए या ना कहा जाए इसको लेकर विद्वानों में थोड़ी मतभेद रहा है।
पर आज प्रकट दिवस तो उनका है ही इससे इनकार नहीं किया जा सकता। भगवान परशुराम के संदर्भ में बात करें तो भारत का जो पौराणिक साहित्य सनातन धर्म की मान्यता है। उसके अंतर्गत विष्णु जी के 10 अवतार में से एक अवतार परशुराम जी के रूप में आया है और वह छठे अवतार के रूप में हमारे बीच में हैं। पूजनीय हैं, वंदनीय हैं, उनको हम तमाम स्वरूपों में याद रखते हैं। यदि उनके संदर्भ में सबसे ज्यादा याद रखा जाने वाला है तो वह यह एक ब्राह्मण होते हुए भी ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी उन्होंने शास्त्र के साथ साथ शस्त्र को भी धारण किया और इस पृथ्वी से भगवान परशुराम ने 21 बार क्षत्रिय कुल का सर्वनाथ किया था।
इस प्रकार की कहानी उनके संदर्भ में हमारे बीच आती रही हैं, लेकिन क्या हुआ सिर्फ वह इसी बात के लिए याद किए जाएंगे। उनका जो पराक्रम है, जो पौरूष है और उनकी विधता, उनकी दिव्य दृष्टि, उनकी अलौकिक। इस पर भी एक विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। हम महसूस करते हैं और इसीलिए आज हम भगवान परशुराम का प्रकट दिवस जिसपर चर्चा होनी चाहिए। और उनके जीवन चरित्र को समझने की प्रयास करना चाहिए और इसके लिए हमने संपर्क किया जाने-माने परम पूज्य पंडित विजयशंकर मेहता जी से। विजयशंकर मेहता जी जिनको हनुमान जी को साधने के संदर्भ में जानते हैं और साथ-साथ उनकी ख्याति भागवत के संदर्भ में मानस के संदर्भ में उतनी ही है उनसे हम आज भगवान परशुराम के बारे में जीवन चरित्र को समझने का प्रयास करेंगे.....
पं. विजयशंकर मेहता जी से खास बातचीत