Haribhoomi-Inh News: 'चक्रव्यूह में अभिमन्यु' कांग्रेस नेता सुभाष कुमार सोजतिया, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा चक्रव्यूह में अभिमन्यु.... चक्रव्यू में अभिमन्यु के तहत आज हमारे केंद्र में एक ऐसी शख्सियत है। जिसने सौभाग्य से ऐसे परिवार में जन्म लिया, जिसकी प्रतिष्ठा चारों ओर है। एक विख्यात प्रकार के चिकित्सक के घर में जन्मे शख्स ने प्रारंभिक दिनों में ही पर्याप्त यस, समृद्धि, सब कुछ देखा।;
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा चक्रव्यूह में अभिमन्यु.... चक्रव्यू में अभिमन्यु के तहत आज हमारे केंद्र में एक ऐसी शख्सियत है। जिसने सौभाग्य से ऐसे परिवार में जन्म लिया, जिसकी प्रतिष्ठा चारों ओर है। एक विख्यात प्रकार के चिकित्सक के घर में जन्मे शख्स ने प्रारंभिक दिनों में ही पर्याप्त यस, समृद्धि, सब कुछ देखा।
कमाल की बात यह रही, भाग्य से जो कुछ भी मिला। उन्होंने अपने पुरुषार्थ से उसे और आगे बढ़ाने की कोशिश थी। राजनीति के क्षेत्र में कदम रखा और सफलता उनके कदम चूमने लगी। बहुत ही कम उम्र में विधायक बने, मंत्री भी बने, मंत्री के तौर पर तमाम जिम्मेदार पदों को भी सुशोभित किया। गृह मंत्री रहे, स्वास्थ्य मंत्री रहे, जनसंपर्क मंत्री रहे, कई विभाग उन्होंने संभाले। लोग उनके काम करने की शैली से काफी प्रभावित मुरीद रहे। उनके तौर-तरीकों के मुरीद रहे, अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर निकल कर पूरे उनके इलाके में उनकी तूती बोलती थी।
लेकिन समय के साथ यह शख्स अपनी चमक, जिस शख्स के हिस्से में लगातार जीत आती थी। पिछले कुछ समय से उसके हिस्से में हार, उनके साथ ही साथ चल रही है। 3 चुनाव लगातार हार चुके हैं। 7 दशक जीवन के पूरे कर चुके। इस शख्स के समय में भविष्य को लेकर के कुछ उम्मीद है। इस शख्स की राजनीतिक चमक अब अपना सब कुछ खो हो चुकी है। असल में आज हम बात कर रहे हैं दिग्विजय सिंह के मंत्रीमंडल का चेहरा रहे कांग्रेस नेता सुभाष कुमार सोजतिया का।
गरुड़ विधानसभा क्षेत्र से 1985 में मात्र 33 साल की उम्र में विधायक बने। इस शख्स ने सफलता की सीढ़ियां चढ़ना शुरू किया। उन्होंने अपने प्रबंध के तरीके से प्रशासनिक, अपने कार्य व्यवहार से काम किया। लेकिन वक्त गुजरने के साथ जिस तरीके से उनका कद बढ़ना चाहिए था। नई सदी में वह लगातार घटता चला गया। साल 2013 से उनके हिस्से में हार आ रही है। आखिर उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में क्या कर दिया, जिसके चलते जनता से उनका इस कदर मोहभंग हो गया, क्या भविष्य में उनके संदर्भ में कोई उम्मीद है, इसी पर हमारे साथ कई मेहमान जुड़े हुए हैं बातचीत करने के लिए.....
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