Haribhoomi-Inh News: विचारधारा का मोड़, बापू से भगत की ओर!, 'चर्चा' प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम आज ही के दिन पर केंद्रित बात करने जा रहे हैं। आज 23 मार्च है। आज से तकरीबन 80 या 90 साल पहले 23 मार्च 1931 को 3 क्रांतिकारियों को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। वह तीन क्रांतिकारी थे शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु। अगर तारीखों के हिसाब से बात किया जाए तो आजादी मिलने से ठीक 16 साल पहले इन वीर क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी।;
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत आज हम आज ही के दिन पर केंद्रित बात करने जा रहे हैं। आज 23 मार्च है। आज से तकरीबन 80 या 90 साल पहले 23 मार्च 1931 को 3 क्रांतिकारियों को लाहौर सेंट्रल जेल में फांसी पर लटका दिया गया था। वह तीन क्रांतिकारी थे शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु। अगर तारीखों के हिसाब से बात किया जाए तो आजादी मिलने से ठीक 16 साल पहले इन वीर क्रांतिकारियों को अंग्रेजी हुकूमत ने फांसी दे दी थी।
अब एक वर्ग दमखम के साथ प्रचार करता है कि भगत सिंह को अगर फांसी हुई तो उस फांसी के लिए अंग्रेजी सरकार जिम्मेदार नहीं थी। उस फांसी के लिए अगर कोई जिम्मेदार था। तो वह खुद देश के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी थे। महात्मा गांधी ने ईमानदारी से कोशिश ही नहीं की। इन क्रांतिकारियों के लिए फांसी रुकवाने की। अगर वह कोशिश करते तो भगत सिंह हम लोगों के बीच में आजादी के दौरान भी मौजूद होते।
दूसरा जो विषय है एक समय तक इस देश में गांधीजी को रोल मॉडल माना गया था। लेकिन जैसे जैसे वक्त गुजरता गया। वैसे वैसे गांधी जी को खारिज करना गांधी को रिजेक्ट करना, गांधी जी की दृष्टिकोण को खारिज। इस देश में फैशन के तौर पर चल निकला है। ताजा मामला यह है कि आम आदमी पार्टी ने 10 साल में जिस जिस प्रकार की राजनीतिक सफलता हासिल की। वह अचंभित करने वाली है। अन्ना हजारे के आंदोलन से निकला यह राजनीतिक दल। अब देश की राजधानी से निकलकर बाहर के राज्यों में पहुंच गया है। पंजाब में सरकार बना दी है और अब उसकी नीति में बदलाव भी देखा गया है। जो पहले गांधी की विचारधारा पर चला करते थे। वह पंजाब पहुंचते-पहुंचते भगत सिंह के हो गए।
पंजाब सचिवालय से गांधी जी की तस्वीर गायब हो गई और उसकी जगह भगत सिंह और बाबा साहब अंबेडकर की तस्वीर लग गई। आज हमारे साथ इस कार्यक्रम में कई मेहमान जुड़े हुए हैं, जिनसे हम इस मामले पर जानेंगे की राय। समझने की कोशिश करेंगे जब पूरी दुनिया में तमाम संगठनों में गांधी को याद किया जाता है, तो हिंदुस्तान में गांधी से परहेज क्यों....
विचारधारा का मोड़, बापू से भगत की ओर!
'चर्चा'