Haribhoomi-Inh News: भाजपा अब पूरी 'साथी' नहीं जरुरी?, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत हम इस देश के राजनीतिक हालात पर बात करने जा रहे हैं। हमारा विषय है भाजपा अब पूरी साथी नहीं जरूरी...;

Update: 2022-08-10 15:33 GMT

Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, चर्चा के तहत हम इस देश के राजनीतिक हालात पर बात करने जा रहे हैं। हमारा विषय है भाजपा अब पूरी साथी नहीं जरूरी...

पिछले 2 दिन से हम बिहार के मसले को लेकर बातचीत कर रहे थे। आज उस पर और विस्तार से बात करेंगे। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी जो 1980 में अस्तित्व में आई थी। उस भारतीय जनता पार्टी ने चार दशक की यात्रा के बाद वह मुकाम हासिल कर लिया है। जिसके तहत उसे किसी सहयोग की दरकार नहीं है। यह बात इसलिए जेहन में आ रही है। क्योंकि राजनीतिक विश्लेषक इस पर मंथन कर रहे हैं कि जिन्होंने भारतीय जनता पार्टी को समय-समय पर सहयोग किया।

जिनके बूते भारतीय जनता पार्टी देश के सबसे बड़े राजनीतिक दल के तौर पर स्वीकार जाने में सफल रही। उन सहयोगियों को यह लगता है कि भाजपा ने उनके साथ सही नहीं किया। तमाम सहयोगी एक-एक करके भाजपा से अपना रास्ता अलग कर रहे हैं। उनका कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने उनको सहयोग के बदले में कमजोर करने का काम किया है।

समझने की बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी ने अपने सहयोगियों को कमजोर करने का काम किया है या फिर मजबूत करने का काम किया। यही बहस का हमारा आज का विषय है। लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि तकरीबन तीन दशक तक इस देश में पूर्ण बहुमत की सरकार के लिए इंतजार किया। 1995 के बाद केंद्र में कोई भी स्पष्ट बहुमत की सरकार नहीं रही। उसके बाद लगाता रहा वह कुल मिलाकर जोड़-तोड़ से सरकार बनी। अटल बिहारी वाजपेई जैसा नेता भी अपने नेतृत्व में स्पष्ट बहुमत हासिल नहीं कर पाए। यह करिश्मा किया तो केवल-केवल नरेंद्र मोदी ने साल 2014 में। पर हम चर्चा कर रहे हैं...

भाजपा अब पूरी 'साथी' नहीं जरुरी ?

'चर्चा'


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