Haribhoomi-Inh News: 'श्री' हीन लंका !, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, दोस्तों चर्चा के तहत आज हम प्रदेश और देश की सीमा को लांघकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय विषय पर बातचीत करने जा रहे हैं।;
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, दोस्तों चर्चा के तहत आज हम प्रदेश और देश की सीमा को लांघकर एक बार फिर अंतरराष्ट्रीय विषय पर बातचीत करने जा रहे हैं। बात इसलिए कर रहे हैं कि यह देश आदिकाल से ही हमारे साथ जुड़ा हुआ है। हम अपने बचपन में दो चीजों को जानकर बड़े हुए एक रामायण और दूसरी महाभारत।
रामायण का जब उल्लेख आता है, तो सिर्फ आर्यभट्ट की बात नहीं होती, बल्कि सिर्फ भारत की नहीं होती, बल्कि उसके साथ स्वर्णमई लंका के भी बात हुआ करती है। भारत के पड़ोस में ही देश है, जहां सारे मकान इतने ज्यादा समृद्धशाली है कि उनकी दीवारें सोने की होती हैं। ऐसा हमने रामायण के माध्यम से जाना। हमारा वर्षों का साथ रहा, हजारों सालों तक हमारी साझा संस्कृति रही। वह अब आज के वक्त में आर्थिक संकट में है।
नाम उसका श्रीलंका है। लेकिन उसके श्री कहां चले गए हैं। इसी को लेकर सवाल है। गृहयुद्ध जैसे हालात बने हुए हैं। भारत के साथ ही लगभग आजाद हुआ यह मुल्क अपने जीवन काल के अब तक के सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है। अब हालत यह है कि राष्ट्रपति कहां हैं, प्रधानमंत्री कहां हैं। यह पता नहीं है। राष्ट्रपति के आवास पर अराजकतावादियों का कब्जा है। प्रधानमंत्री के आवास को फूंका जा चुका है। कुल मिलाकर हर तरफ तन्हाई है, असंतोष है, आक्रोश है। तो आज हम इस कार्यक्रम में बातचीत कर रहे हैं।
यह समझने की कोशिश करेंगे कि जो श्रीलंका साक्षरता की दृष्टि से भारत से कहीं ज्यादा बेहतर हुआ करता था। जिस श्रीलंका को देखने-जानने-सुनने के लिए तमाम दुनिया से लोग पहुंचा करते थे। श्रीलंका में पिछले 5 सालों में ऐसा हुआ क्या, जिसकी वजह से चारों तरफ तबाही के मंजर ही दिखाई देने लगा। इसी को लेकर बातचीत कर रहे हैं। इस महत्वपूर्ण विषय में हमारे साथ कई खास मेहमान हमारे साथ जुड़े हुए हैं...
'श्री' हीन लंका !
'चर्चा'