Haribhoomi-Inh News: गुजरात दंगे 'सरकार' निर्दोष, किसका दोष?, चर्चा प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के साथ
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, हम आज महाराष्ट्र की चर्चा से अलग हटकर कुछ संवेदनशील मामले पर बात कर रहे हैं, जो बीते 1 सप्ताह से सुर्खियों में बना हुआ है। सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि यह विषय इतना गंभीर और इतना संवेदनशील है कि जब जब यह विषय चर्चा में आया तो सुर्खियों का केंद्र बन गया।;
Haribhoomi-Inh News: हरिभूमि-आईएनएच के खास कार्यक्रम 'चर्चा' में प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी ने शुरुआत में कहा कि नमस्कार आपका स्वागत है हमारे खास कार्यक्रम चर्चा में, हम आज महाराष्ट्र की चर्चा से अलग हटकर कुछ संवेदनशील मामले पर बात कर रहे हैं, जो बीते 1 सप्ताह से सुर्खियों में बना हुआ है। सुर्खियों में इसलिए है क्योंकि यह विषय इतना गंभीर और इतना संवेदनशील है कि जब जब यह विषय चर्चा में आया तो सुर्खियों का केंद्र बन गया।
हम बात करने जा रहे हैं गुजरात दंगों के संदर्भ में, जिसको लेकर एसआईटी की जांच रिपोर्ट को स्वीकार करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले हफ्ते एक आदेश पारित किया। उसके बाद तो घटनाक्रम भी लगातार जारी है। घटनाक्रम की शुरुआत 27 जून को सुबह 7 बजे तब हुआ था जब साबरमती एक्सप्रेस के कोच में आग लगा दी गई। उस घटना के अंतर्गत उसी मौके पर तकरीबन 58 लोग, जिसमें महिलाएं, बच्चे भी शामिल थे। सभी को जिंदा जला दिया गया। उसके बाद 2 लोगों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। कुल 60 लोग निर्दोष जिन्हें कहा जाए वह इस आगजनी का शिकार हुए।
इसकी प्रतिक्रिया पूरे प्रदेश में हुई बड़े पैमाने पर दंगे हुए और ऐसा माना जाता है कि इन दंगों में कम से कम 1200 लोग मारे गए। इन दंगों के चलते एक आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी रहा। आरोप कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का कि बाद में जो दंगे हुए वर्तमान में जो सरकार उस पर बनी हुई थी। उसके द्वारा संरक्षण दिया गया। जिसका नेतृत्व नरेंद्र मोदी कर रहे थे। नरेंद्र मोदी ने इस दंगों को इसलिए हवा दी क्योंकि उन्होंने माना कि यह दंगा मुसलमानों के द्वारा किया गया था और हिंदुओं के द्वारा प्रतिक्रिया दी गई थी।
इन आरोपों से हमेशा ही नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार इंकार करती रही। घटनाक्रम के बाद में कुछ इस तरह से बना की दो पक्ष स्पष्ट रूप से बटा हुआ नजर आया। एक पक्षी जो मानता था कि इन दंगों के पीछे नरेंद्र मोदी तत्कालीन सरकार का हाथ था। वहीं नरेंद्र मोदी समेत अन्य जो सरकार में बने हुए थे। उन्होंने कहा कि जो सरकार कर सकती थी वो किया और एक प्रतिक्रिया इस घटनाक्रम के बाद में आई कि इस घटना के बाद फिर कभी किसी की दंगा कराने की हिम्मत नहीं हुई। इस मामले की जांच कथा अलग-अलग स्तरों पर हुई। लेकिन हम ताजा घटनाक्रम को लेकर चर्चा कर रहे हैं....
गुजरात दंगे 'सरकार' निर्दोष, किसका दोष?
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