हरियाणा-महाराष्ट्र चुनाव: जानें क्या है आचार संहिता, आप भी पढ़ लें ये पूरे नियम

चुनाव आयोग (Election Commission) ने शनिवार को हरियाणा (Haryana) और महाराष्ट्र (Mahatrashtra) में होने वाले विधानसभा चुनाव (Assembly Election) को लेकर तारीखों का ऐलान कर दिया है। 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी और 24 को मतों की गिनती की जाएगी। तारीखों के ऐलान के साथ ही दोनों राज्यों में आचार सहिंता (Aachar Sanhita) भी लागू हो गई है।;

Update: 2019-09-21 07:26 GMT

Haryana Maharashtra Aachar sanhita/  हरियाणा (Haryana) और महाराष्ट्र (Maharashtra) में चुनाव की तारीखों का ऐलान चुनाव आयोग (EC) ने शनिवार को कर दिया है। दोनों राज्यों में 21 को वोटिंग और 24 को रिजल्ट आ जाएंगे। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए आयोग ने कुछ नियम बनाए हैं और चुनाव खत्म होने तक इन नियमों के अनुसार चलना होता है। जिसे आचार संहिता (Code Of Conduct) कहते हैं। चुनावों की तारीखों से लेकर परिणामों की घोषणा तक सत्ताधारी व अन्य राजनीतिक दलों के साथ सरकारी अधिकारियों के लिए इन नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है।

आचार संहिता लागू होते ही दोनों राज्यों में बदलाव दिखेंगे। जैसे तबादले और नियुक्तियां टल जाएंगी। यदि किसी अफसर को बदलना है तो निर्वाचन विभाग ही बदलेगा। सरकारी खर्च पर सरकार की उपलब्धियों का विज्ञापन जारी नहीं होगा। घोषणा, उद्घाटन, लोकार्पण भी नहीं होंगे। सीएम-मंत्री रूटीन के काम ही करेंगे।


 आईए जानते हैं क्या हैं आचार संहिता और इससे जुड़े नियम...

1. आचार संहिता लागू होने के दौरान केंद्र सरकार और सभी राज्यों के कर्मचारी चुनाव की प्रक्रिया पूरी होने तक निर्वाचन आयोग के कर्मचारी के रूप में काम करते हैं।

2. इस दौरान सार्वजनिक धन, यानी सरकारी पैसे के जरिए कोई भी ऐसा कार्यक्रम आयोजित नहीं किया जा सकता, जिससे किसी दल का प्रचार होता हो।

3. सरकारी गाड़ी, विमान या बंगले को चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

4. जो भी दल सत्ता में हो, वह किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, शिलान्यास आदि कार्यक्रम आयोजित नहीं कर सकता है।

5. इस समय सरकारी स्थानों के प्रयोग की भी मनाही होती है, यह सब सुनिश्चित करने और राजनीतिक दलों की गतिविधियों की निगरानी के लिए आयोग कई पर्यवेक्षक नियुक्त करता है।

6. इसके अलावा राजनीतिक दलों, उनके प्रत्याशियों और समर्थकों को रैली, जुलूस या अन्य चुनावी कार्यक्रमों के आयोजन के लिए संबंधित क्षेत्र की पुलिस या प्रशासन से पूर्व अनुमति लेनी होती है।

7. आचार संहिता के नियमों के मुताबिक, इन कार्यक्रमों में कोई भी राजनीतिक दल जाति या धर्म के आधार पर वोट नहीं मांग सकता।

8. कोई राजनीतिक दल या प्रत्याशी ऐसी बात या काम नहीं कर सकता जिससे धर्म, जाति, भाषा या अन्य प्रकार से समुदायों के बीच नफरत फैलती हो।

9. चुनाव आयोग के मुताबिक दलों को चुनाव की लड़ाई अपने बीच रखनी चाहिए और इसे व्यक्तिगत होने से भी रोकना चाहिए।

नियमों का उल्लंघन करने पर होती है कार्रवाई

इन नियमों के उल्लंघन पर चुनाव आयोग संबंधित दल पर दंडात्मक कार्रवाई कर सकता है। इनमें प्रत्याशी का नामांकन खारिज करने से लेकर आपराधिक मुकदमा दर्ज कराने जैसे कदम तक शामिल हैं। नियमों के मुताबिक दोषी पाए जाने पर प्रत्याशी को जेल तक हो सकती है। आचार संहिता का पालन केवल राजनीतिक दल नहीं करते बल्कि मतदाताओं को भी इसका ध्यान रखना होता है। 


वोट डालने से पहले जानें ये खास बात

नियमों के अनुसार मतदान के दिन लोगों को मतदान केंद्र पर तय किए गए समय के मुताबिक पहुंचना होता है। वोटर आईडी कॉर्ड के अलावा वोटर स्लीप या अन्य सरकारी यहचान पत्र साथ में अवश्य रखना चाहिए । आचार संहिता के तहत यह उम्मीद की जाती है कि नागरिक खुद तो वोट करें ही, साथ ही अन्य नागरिकों को भी मतदान के लिए जागरूक करें। 

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