देश के सवा अरब भारतियों का हेल्थ डाटा मिलेगा एक क्लिक पर, प्रत्येक व्यक्ति की बनेगी पर्सनल आईडी
केंद्र सरकार की तरफ से देशवासियों की पर्सनल आईडी बनवायी जाएगी। जिसमें उनका हेल्थ डाटा भी होगा। कहीं पर भी सिर्फ एक क्लिक पर हेल्थ डाटा मिल सकेगा।;
नई दिल्ली। पीएम नरेंद्र मोदी इस साल 15 अगस्त को अपने संबोधन में देश को एक बड़ा तोहफा दे सकते हैं। पीएम इस दिन नेशनल डिजिटल हेल्थ मिशन (एनडीएचएम) योजना की घोषणा कर सकते हैं। इस योजना में हर भारतीय की पर्सनल आईडी होगी और हेल्थ रिकॉर्ड को डिजिटाइज किया जाएगा। योजना को देश में चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। शुरू में इसे कुछ चुनिंदा राज्यों में लागू किया जाएगा। वित्त मंत्रालय ने इस प्रस्तावित योजना के लिए 470 करोड़ रुपये की मंजूरी दे दी है। यहां पूरे देश के डॉक्टर और स्वास्थ्य सुविधाओं की रिजस्ट्री भी होगी। योजना के प्रस्ताव को कैबिनेट से सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई है और अंतिम मंजूरी इस सप्ताह के अंत तक मिल सकती है। पीएम मोदी इस मिशन की घोषणा 15 अगस्त को अपने भाषण में कर सकते हैं। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) के मुख्य कार्यकारी इंदु भूषण ने कहा, 'योजना लागू होने से हेल्थ सेवाओं की क्षमता, पारदर्शिता बढ़ेगी। इस योजना से भारत संयुक्त राष्ट्र वैश्विक हेल्थ कवरेज के लक्ष्य को भी हासिल करने की दिशा में तेजी से बढ़ेगा।'हेल्थ आईडी देश के सभी राज्यों, अस्पतालों, जांच केंद्र और फार्मेसी में लागू होगी।
4 फीचर संग लॉन्च होगी,बाद में ई-फॉर्मेसी और टेलीमेडिसिन सेवा भी जुड़ेगी
इस योजना को चार फीचर के साथ शुरू की जाएगी। पहला, हेल्थ आईडी, पर्सनल हेल्थ रेकॉर्ड्स, डिजी डॉक्टर और हेल्थ फैसिलिटी रिजस्ट्री होगी। बाद में इस योजना में ई-फार्मेसी और टेलीमेडिसिन सेवा को भी शामिल किया जाएगा। इसके लिए गाइडलाइंस बनाई जा रही है। दुनिया की सबसे बड़ी हेल्थ स्कीम आयुष्मान भारत को लागू करने वाली एनएचए ने ही इस एप और वेबसाइट को बनाया है। इस योजना को हेल्थकेयर सेक्टर में आयुष्मान भारत के बाद इसे एक बड़ी योजना के तौर पर देखा जा रहा है।
हेल्थ रिकॉर्ड संबंधित व्यक्ित की मंजूरी के बाद ही शेयर
इस एप में देश के किसी भी नागरिक को खुद को शामिल करना ऐच्छिक होगा। यानी इसके लिए कोई जोर नहीं डाला जाएगा। हेल्थ रेकॉर्ड संबंधित व्यक्ति की मंजूरी के बाद ही शेयर किया जाएगा। इसी तरह अस्पतालों और डॉक्टर को इस ऐप के लिए डिटेल उपलब्ध करना ऐच्छिक ही होगा। हालांकि सरकार का मानना है कि इस ऐप की उपयोगिता को देखते हुए इसमें बड़े पैमाने पर लोग शामिल हो सकते हैं।