Corona Vaccination : अगर कोरोना हो चुका है तो वैक्सीन लगवाएं या नहीं, जानिये स्वास्थ्य मंत्रालय ने क्या कहा

केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने एक दिन पहले ही बच्चों के लिए भी नई गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि पांच साल से छोटे बच्चों के लिए मास्क लगाना जरूरी नहीं है;

Update: 2021-06-11 07:02 GMT

देश में कोरोना की दूसरी लहर की चपेट में आ चुके लोगों को कोविड वैक्सीन लगवानी चाहिए या नहीं, यह सवाल बहुत से लोगों को परेशान रखता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अब इसे लेकर नई गइडलाइन जारी की है। नए दिशानिर्देशों में कहा गया है कि जिन लोगों को कोरोना हो चुका है, उन्हें तीन महीने के बाद ही टीकाकरण कराना चाहिए। इसके पीछे का कारण यह है कि कोरोना होने के बाद शरीर में प्राकृतिक एंटीबॉडी बन जाते हैं। ऐसे में तीन महीने तक टीकाकरण कराने की जरूरत नहीं है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं के एक अध्ययन से पता चला है कि अगर किसी व्यक्ति को कोरोना संक्रमण हो जाता है तो उसके दस महीने तक दोबारा संक्रमण की चपेट में आने का जोखिम बेहद कम हो जाता है। भारतीय विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट कहती है कि कोरोना संक्रमण के बाद टीका लगाना फायदेमंद है या नहीं, इस बात के पर्याप्त प्रमाण नहीं हैं।

रिपोर्ट में सलाह दी गई कि प्राकृतिक संक्रमण के बाद वैक्सीन फायदेमंद होने के सबूत मिलने पर ऐसे लोगों को टीका लगाया जा सकता है। कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों को टीकाकरण से बाहर रखकर वैक्सीनेशन की रफ्तार भी बढ़ाई जा सकेगी। ऐसे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने तमाम अटकलों को विराम देते हुए नई गाइडलाइन जारी कर दी, जिसमें सलाह दी गई है कि जिन लोगों को कोरोना हो चुका है, उन्हें तीन महीने बाद ही टीकाकरण कराना चाहिए।

बता दें कि केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग ने एक दिन पहले ही बच्चों के लिए भी नई गाइडलाइन जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि पांच साल से छोटे बच्चों के लिए मास्क लगाना जरूरी नहीं है। वहीं 6 से 11 साल के बच्चों को अभिभावकों और चिकित्सकों की निगरानी में ही मास्क लगाने की सलाह दी गई थी।

नई कोरोना गाइडलाइन में कोरोना संक्रमित बच्चों को रेमडेसिविर इंजेक्शन देने की मनाही की गई है। कहा गया है कि बच्चों को स्टेरॉयड भी बेहद विवेक के साथ दिया जाए। स्टेरॉयड कोरोना के हल्के लक्षण वाले बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। ऐसे मामलों में सेल्फ मेडिकेशन से बचने को कहा गया है। बच्चों का सीटी स्कैन भी तभी कराने की सलाह दी गई है, जब यह अंतिम विकल्प हो। कोरोना के कम लक्षण वाले बच्चों को एंटी माइक्रोबियल देने की भी मनाही की गई है।

बच्चों के लिए जारी गाइडलाइन में कहा गया है कि गंभीर मामलों में एंटी माइक्रोबियल रिकमेंड किया जा सकता है। कोरोना के हल्के लक्षण वाले बच्चों को 10-15 एमजी पैरासिटामोल की डोज दी जा सकती है। इसे बुखार और गले में दर्द होने के हालात में हर चार से छह घंटे के अंतराल पर लिया जा सकता है। कफ होने पर बड़े बच्चों को गुनगुने पानी से गरारे करने की सलाह दी गई है। वहीं पल्स ऑक्सीमीटर लगाकर 12 साल की उम्र से अधिक के बच्चों के लिए छह मिनट वॉक टेस्ट की सलाह दी गई है।

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