मानव संसाधन विकास मंत्री की बेटी ने सैनिकों के लिए मास्क भिजवाए
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल की बेटी और स्पर्श गंगा फाउंडेशन की राष्ट्रीय संयोजक आरुषि पोखरियाल ने सैनकों के लिए 10000 मास्क दिए हैं।;
नई दिल्ली। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल 'निशंक' की बेटी और स्पर्श गंगा फाउंडेशन की राष्ट्रीय संयोजक आरुषि पोखरियाल 'निशंक' ने कल (28 अप्रैल 2020) साउथ ब्लॉक स्थित सशस्त्र बल क्लिनिक में कमांडेंट ब्रिगेडियर नरेंद्र कोतवाल से मिलकर उन्हें सैनकों के लिए 10000 मास्क दिए.
ये सभी मास्क आरुषि द्वारा संचालित गैर सरकारी संगठन स्पर्श गंगा फाउंडेशन की ओर से दिए गए हैं जिन्हें इस संगठन में काम करने वाली विभिन्न टीमों ने घर पर ही बनाया है. स्पर्श गंगा फाउंडेशन देश और दुनिया में 2008 से काम कर रहा है और पूरी दुनिया में इस संस्था से लगभग 5.5 लाख से ज्यादा लोग जुड़े हुए हैं। ये सभी मास्क खादी के बने हुए हैं और इनको धोकर दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता है.
चूकि एक बार प्रयोग में लेकर फेंके जाने वाले मास्क से वायरस के संक्रमण का खतरा फैलने का डर रहता है जबकि खादी के बने मास्क से ऐसा खतरा नहीं होता है.
इस अवसर पर स्पर्श गंगा की संयोजिका आरुषि पोखरियाल 'निशंक' ने कहा, "इस अभूतपूर्व स्वास्थ्य आपातकाल के दौरान आम नागरिक तो घर पर रहकर लॉकडाउन का पालन कर रहे हैं और इस महामारी के खिलाफ जंग में सहयोग दे रहे हैं लेकिन हज़ारों वीर सैनिक भाई इस संकट काल में भी एक ओर जहाँ सीमाओं पर देश के दुश्मन से लड़ रहे हैं वहीँ दूसरी ओर देश के अंदर इस जानलेवा वायरस से. ऐसे में हमारा कर्तव्य बनता है कि सीमा पर मौजूद सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा को सुनिश्चित करें."
"अपने सैनिक भाइयों की सुरक्षा को देखते हुए स्पर्श गंगा फाउंडेशन की देश व्यापी टीमों ने उन्हें रक्षा कवच (फेस मास्क) भेजने का निर्णय लिया. जिस प्रकार एक भाई रक्षाबंधन के मौके पर बहन द्वारा राखी बांधे जाने पर उसकी रक्षा का वचन देता है उसी प्रकार हम बहनों ने इस बार अपने भाइयों की सुरक्षा के लिए ये पहल की है," उन्होनें आगे कहा। इसके पहले भी आरुषि पोखरियाल 'निशंक' फेस मास्क, सैनेटाइजर वगैरह अपने स्टाफ कर्मियों में बांटे थे.
यह मुहिम स्पर्श गंगा ने "एक्वाक्राफ्ट" जो कि एक एनजीओ है उनके साथ मिलकर, सस्टेनेबल इनीशिएटिव के रूप में शुरू किया है ताकि हमें आर्थिकी बढ़ाने के साथ पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन में भी सहायता मिलेगी.