ICMR की रिपोर्ट का दावा, कोवैक्सीन बूस्टर डोज डेल्टा और ओमिक्रॉन के खिलाफ प्रतिरक्षा को करती है मजबूत
आईसीएमआर ने दावा किया है कि सीरियन हैमस्टर मॉडल में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ टीकाकरण की दो तथा तीन डोज के बाद कोवैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षात्मक क्षमता तथा ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा को मजबूत करती है।;
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) और भारत बायोटेक ने अपने एक रिपोर्ट में बताया है कि कोवैक्सीन की बूस्टर डोज कोरोना वायरस के डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ टीके का प्रभाव बढ़ाती है और ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा को मजबूत करती है। आईसीएमआर और भारत बायोटेक के अध्ययन में यह बात सामने आई है।
आईसीएमआर ने दावा किया है कि सीरियन हैमस्टर मॉडल में डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ टीकाकरण की दो तथा तीन डोज के बाद कोवैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षात्मक क्षमता तथा ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ प्रतिरक्षा को मजबूत करती है। यह प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि एंटीबॉडी और वायरल लोड में कमी और वायरस की चुनौती के बाद फेफड़ों की बीमारी की गंभीरता देखी गई। शोध मंगलवार को एक प्री-प्रिंट सर्वर बायोरेक्सिव में पब्लिश किए गए। जिनकी अभी तक समीक्षा नहीं की गई है।
आगे कहा कि हम सुरक्षा में बूस्टर खुराक टीकाकरण के बेनेफिट का निरीक्षण कर सकते हैं। हालांकि न्यूट्रलाइजिंग एंटीबॉडी का स्तर समूहों के बीच तुलनीय था। तीन डोज वाले टीकाकरण के बाद फेफड़ों की बीमारी की गंभीरता अधिक कम पाई गई।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च और भारत बायोटेक द्वारा किए गए शोध में कहा गया है कि दो डोज और तीन प्री-डोज वाले टीकाकरण से वायरल का असर कम हुआ। दूसरे शोध में जिसमें ओमिक्रॉन वेरिएंट के खिलाफ सुरक्षात्मक प्रतिक्रिया का आकलन किया गया था। बीए-1 और बीए-2 तीसरी डोज के बाद प्लेसीबो समूहों की तुलना में प्रतिरक्षित समूह की वजह से वायरस कम हुआ। ये फेफड़े के वायरल लोड और फेफड़ों की बीमारी की गंभीरता को दिखाया गया।