UNSC में भारत ने यूक्रेन में तत्काल युद्धविराम और शत्रुता को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराया

युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारत के नागरिकों को निकालने पर प्रकाश डालते हुए आर रवींद्र ने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए गहन और तत्काल कदम उठाए।;

Update: 2022-03-15 03:18 GMT

रूस और यूक्रेन (Russia and Ukraine) के बीच बढ़ते तनाव के बीच उभरी स्थिति पर भारत (India) ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) के सामने फिर से अपना पक्ष रखा है। भारत ने तत्काल युद्धविराम और यूक्रेन (Ukraine) में सभी युद्ध के कार्यों (शत्रुताओं) को समाप्त करने के अपने आह्वान को दोहराया है। संयुक्त राष्ट्र में भारत के उप स्थायी प्रतिनिधि आर रवींद्र ने UNSC ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बार-बार तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है। साथ ही कहा है कि बातचीत और कूटनीति के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है और मानवीय स्थिति गंभीर हो गई है।

युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारत के नागरिकों को निकालने पर प्रकाश डालते हुए आर रवींद्र ने कहा कि भारत ने अपने नागरिकों को निकालने के लिए गहन और तत्काल कदम उठाए। अब तक लगभग 22 हजार 500 भारतीय सकुशल घर लौट चुके हैं। हम अपने सभी सहयोगियों के हमारे निकासी प्रयासों में उनके समर्थन के लिए आभारी हैं। उन्होंने कहा कि हम युद्ध के सभी कार्यों को समाप्त करने के लिए सीधे संपर्क और बातचीत का आह्वान करते हैं।

आर रवींद्र ने आगे कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र चार्टर, अंतर्राष्ट्रीय कानून और राज्यों की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करना जारी रखते हैं। रवीद्र ने यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) द्वारा निभाई गई भूमिका की भी सराहना की और कहा, ओएससीई पूर्वी यूक्रेन में संपर्क लाइन के दोनों किनारों पर उपायों के पैकेज के कार्यान्वयन को सुविधाजनक बनाने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

हालांकि, यूक्रेन में हाल के घटनाक्रम और इसके परिणामस्वरूप सुरक्षा स्थिति में गिरावट ने विशेष निगरानी मिशन के कामकाज को रोक दिया है। उन्होंने आगे कहा कि ओएससीई समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियां विभिन्न स्रोतों से आती हैं, जिनमें न केवल संप्रभुता के लिए चुनौतियां शामिल हैं बल्कि राज्यों के भीतर जातीय तनाव और हिंसक अलगाववाद से शांति के लिए खतरा भी शामिल है।

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