भारत-चीन सीमा विवाद: BCCI ने वीवो के साथ करार खत्म करने से किया इनकार, कहा उसी कमाई से केंद्र सरकार को जाता है 42 प्रतिशत टैक्स

भारत-चीन सीमा विवाद: BCCI ने कहा कि जब तक चीनी कंपनियों को भारत में व्यापार करने से रोका नहीं जाता, तब तक चीनी कंपनियों की स्पॉन्सरशिप को ठुकराया नहीं जा सकता।;

Update: 2020-06-18 18:00 GMT

भारत-चीन सीमा विवाद: भारत-चीन के बीच चल रही घमासान में देश की कई कंपनियों ने चीनी उत्पादों का बहिष्कार करना शुरू कर दिया है। भारत सरकार ने भी साफ तौर पर कह दिया है कि उत्पादों में चीनी सामानों का उपयोग बंद कर दिया जाए। ऐसे में BCCI ने चीनी मोबाइल फोन कंपनी वीवो से अपना करार खत्म करने से साफ इनकार कर दिया है।

2022 तक है करार

बीसीसीआई के ट्रेजरर अरुण धूमल ने गुरुवार को कहा कि वीवो के साथ बीसीसीआई का करार 2022 तक है। 2022 के बाद ही करार को खत्म करने पर विचार किया जा सकता है। बता दें कि वीवी आईपीएल की स्पॉन्सर है। इसके अलावा वीवो से बीसीसीआई को 440 करोड़ रुपये मिलते हैं। ऐसे में करार खत्म करने से बीसीसीआई को नुकसान उठाना पड़ सकता है।

बीसीसीआई ने कही ये बातें

1. बीसीसीआई ने कहा कि वीवो के जरिए पैसा भारत में आ रहा है। हम किसी भी तरह से ये पैसा चीन को नहीं दे रहे हैं। इसलिए इसमें भारत का कोई नुकसान नहीं है।

2. बीसीसीआई के ट्रेजरर अरुण धूमल ने कहा कि चीनी कंपनियां अपने उत्पादों को बेचकर जो भी पैसा भारत में कमाती है, उसका एक बड़ा हिस्सा बीसीसीआई को जाता है। बीसीसीआई अपनी उस कमाई पर ही केंद्र सरकार को 42 प्रतिशत टैक्स देता है।

3. बीसीसीआई ने कहा कि चीनी एक तरह से भारतीय क्रिकेट की मदद कर रहे हैं, तो फिर ऐसे में हमें क्या परेशानी हो सकती है।

4. धूमल ने कहा कि जब तक चीनी कंपनियों को भारत में व्यापार करने से रोका नहीं जाता, तब तक चीनी कंपनियों की स्पॉन्सरशिप को ठुकराया नहीं जा सकता।

5. धूमल ने कहा कि किसी भी क्रिकेट स्टेडियम को बनाने का ठेका हमने चीनी कंपनी को नहीं दिया। अगर ऐसा करता, तो वो गलत माना जाता।

चीनी उत्पादों का हो रहा बहिष्कार

बीसीसीआई का ये बयान उस वक्त आया है जब रेलवे ने अपने 471 करोड़ का करार चीन से तोड़ दिया है। इसके अलावा भारत सरकार ने भी 4जी उत्पादों में चीनी उपकरणों के उपयोग को बंद करने का फैसला किया है। बीएसएनएल ने चीनी उपकरणों के उपयोग को बैन कर दिया है। इसके साथ ही नोएडा की फैक्ट्रियों ने भी चीनी उत्पादों को उपयोग न करने का फैसला किया है।

इतना ही नहीं इंडियन ओलिंपिक एसोसिएशन (आईओए) ने भी चीनी कंपनी ली निंग से अपने करार को खत्म कर दिया है। आईओए ने कहा है कि उनके लिए देश से बड़ा कुछ नहीं है। ऐसे में बीसीसीआई का ये बयान काफी विवादास्पद प्रतीत हो रहा है।

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