Haribhoomi Explainer: विपक्षी गठबंधन UPA अब बन गया 'INDIA', पढ़ें इसके बनने से नाम के पीछे तक की पूरी कहानी
Haribhoomi Explainer: 2024 का लोकसभा चुनाव एक साथ लड़ने वाले 26 विपक्षी दलों के गठबंधन को अब नया नाम 'INDIA' मिल गया है, जो भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन का संक्षिप्त रूप है। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको विपक्षी दलों के गठबंधन के नए नाम के पीछे की वजह बताते हैं, साथ ही बताएंगे कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन यूपीए की शुरुआत से लेकर INDIA बनने तक की कहानी।;
Haribhoomi Explainer: 2024 के लोकसभा चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) को चुनौती देने वाले 26 विपक्षी दलों के समूह को 'INDIA' कहा जाएगा, जो भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन का संक्षिप्त रूप है। इस नाम को विपक्षी दलों ने 17 जुलाई को बेंगलुरु में हुई बैठक में तय किया। इससे पहले सभी कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन का नाम यूपीए था, जिससे नेतृत्व में कांग्रेस ने दो बार केंद्र में सरकार बनाई थी। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको विपक्षी गठबंधन के पुराने नाम यूपीए के बारे में विस्तार से बताते हैं, साथ ही बताएंगे कि गठबंधन का नाम तय होने के बाद किसने क्या बोला।
UPA से INDIA बन गया विपक्षी गठबंधन
विपक्षी दलों की बैठक के बाद अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हर कोई गठबंधन के लिए एक नाम रखने पर सहमत हुआ है। पहले हमें यूपीए (UPA) यानी कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन कहा जाता था। अब हमें भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) कहा जाएगा। आगे उन्होंने कहा कि इन 26 पार्टियों के गठबंधन की तीसरी बैठक मुंबई में होगी।
UPA से INDIA बनने तक का सफर
जून में पटना बैठक के बाद विपक्षी दलों के नेताओं ने संकेत दिया था कि समूह के लिए एक नया नाम सामने आने की संभावना है। उस समय देशभक्ति लोकतांत्रिक गठबंधन या पीडीए नाम पर विचार किया जा रहा था। इससे पहले कांग्रेस दो बार यूपीए की छत्रछाया में केंद्र में सरकार बना चुकी है। हालांकि, 2014 के बाद गठबंधन टूट गया।
यूपीए की कहानी
2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की। कांग्रेस के नेतृत्व में चुनाव के बाद एक गठबंधन बनाया गया, जिसमें 14 दल शामिल थे राजद, डीएमके, एनसीपी, पीएमके, टीआरएस, जेएमएम, एलजेपी, एमडीएमके, एआईएमआईएम, पीडीपी, आईयूएमएल, आरपीआई (ए), आरपीआई (जी) और केसी (जे) और चार वामपंथी दल सीपीएम, सीपीआई, आरएसपी और फॉरवर्ड ब्लॉक - ने बाहर से सत्तारूढ़ यूपीए गठबंधन का समर्थन किया था।
2008 से बिखरने लगी यूपीए
गठबंधन के कुछ समय बाद सहयोगियों ने यूपीए का साथ छोड़ना शुरू कर दिया। सबसे बड़ा झटका 2008 में देखा गया, जब चार वामपंथी दलों ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया। हालांकि, 2009 में कांग्रेस सत्ता में फिर वापस आई, लेकिन यूपीए गठबंधन में कम पार्टियां थीं। तब केवल पांच पार्टियां (टीएमसी, एनसीपी, डीएमके, नेशनल कॉन्फ्रेंस और इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग) ने कांग्रेस के साथ शपथ ली।
एआईएमआईएम, वीसीके, सिक्किम डेमोक्रेटिक फ्रंट और बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट यूपीए-2 का हिस्सा थे, लेकिन बिना किसी मंत्री पद के। बाद में टीएमसी, डीएमके, एआईएमआईएम, झारखंड की जेवीएम-पी सभी ने एक-एक कर यूपीए छोड़ दिया।
यूपीए को मिली 2014 में करारी हार
2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को सबसे बुरी हार का सामना करना पड़ा और उसे केवल 44 सीटें मिलीं। जबकि समूह को अभी भी यूपीए कहा जाता था। लेकिन अब जैसे कांग्रेस गठबंधन का हिस्सा है, वैसे ही टीएमसी या अन्य दल भी गठबंधन की हिस्सा है। सबसे पुरानी पार्टी ने घोषणा की है कि इस बार वह नए गठबंधन का नेतृत्व नहीं करना चाहती है। गठबंधन के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा था कि उनकी पार्टी को सत्ता या प्रधानमंत्री पद में से कोई विशेष लोभ नहीं है। यह पूछे जाने पर कि नए समूह का नेतृत्व कौन करेगा, कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसके लिए 11 सदस्यीय समन्वय समिति गठित की जाएगी। वही तय करेगी कि गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा। आगे उन्होंने कहा कि मुंबई की बैठक में हम यह तय करेंगे कि 11 कौन होंगे जो संयोजक होंगे।
यूपीए पर भ्रष्टाचार के आरोप
गठबंधन का नाम बदलना कांग्रेस का यूपीए की छवि को दोबारा बनाने का तरीका भी हो सकता है, जो भ्रष्टाचार के आरोपों से खराब हो गई थी। जिसको लेकर सत्ता पार्टी अक्सर वंशवाद की राजनीति और भ्रष्टाचार को लेकर यूपीए का मजाक उड़ाती रहती है। हाल ही में भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने यूपीए की आलोचना करते हुए कहा था कि इसका मतलब उत्पीड़न, पक्षपात और अत्याचार है। इससे पहले हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी ने विपक्षी गठबंधन पर निशाना साधते हुए इसे भ्रष्टाचार और वंशवाद की राजनीति करने वाला दल कहा है। आगे पीएम ने कहा कि जब वे सभी एक फ्रेम में दिखाई देते हैं, तो देश को केवल भ्रष्टाचार दिखाई देता है। लोग इसे भ्रष्टाचार का गठबंधन कहते हैं।
ममता ने दी एनडीए को चुनौती
गठबंधन की बैठक को अच्छा, रचनात्मक और फलदायी बताते हुए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने एनडीए को विपक्ष के भारत के खिलाफ लड़ने की चुनौती दी। आगे उन्होंने कहा कि हमने एक वास्तविक चुनौती स्वीकार की है। एनडीए, क्या आप भारत को चुनौती दे सकते हैं? भाजपा, क्या आप भारत को चुनौती दे सकते है।
वामपंथी दल चाहते थे गठबंधन की जगह मोर्चा हो
सूत्रों ने एक मीडिया एजेंसी को बताया कि वामपंथी दल चाहते थे कि संयुक्त विपक्षी समूह के लिए गठबंधन शब्द को बदलकर मोर्चा कर दिया जाए। शिवसेना यूबीटी प्रमुख और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सुझाव दिया था कि नाम में विपक्ष शब्द नहीं होना चाहिए।
क्या बोले राहुल
राहुल गांधी ने बैठक के बाद कहा कि यह भारत की आवाज के लिए लड़ाई है और इसलिए हमने गठबंधन का नाम भारतीय राष्ट्रीय विकासात्मक समावेशी गठबंधन (INDIA) चुना है। लड़ाई एनडीए और भारत के बीच है, नरेंद्र मोदी और भारत, उनकी विचारधारा और भारत के बीच है।
क्या कहा गया संयुक्त प्रस्ताव में
इस बीच, 26 विपक्षी दलों द्वारा जारी एक संयुक्त प्रस्ताव में कहा गया है कि वे संविधान में निहित भारत के विचार की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। प्रस्ताव में कहा गया है कि भारतीय संविधान के मूलभूत स्तंभ धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र, आर्थिक संप्रभुता, सामाजिक न्याय और संघवाद को व्यवस्थित और खतरनाक तरीके से कमजोर किया जा रहा है। हम अल्पसंख्यकों के खिलाफ पैदा की जा रही नफरत और हिंसा को हराने के लिए एक साथ आए हैं। महिलाओं, दलितों और आदिवासियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों को रोकने, सभी सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक रूप से पिछड़े समुदायों के लिए निष्पक्ष सुनवाई की मांग करने और पहले कदम के रूप में, जाति जनगणना लागू करने के लिए एक साथ आए हैं।