कोरोना वायरस की दवा भारतीय कंपनी ग्लेनमार्क ने की तैयार, इंसानों पर परीक्षण को मिली मंजूरी

कोरोना के बढ़ते प्रकोप से निपटने के लिए इसकी वैक्सीन व दवा की खोज करने पर वैज्ञानिक दिन-रात लगे हुए हैं। इसी प्रयास में अब दवा निर्माता ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स देश की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसे कोरोना संक्रमित मरीजों पर फैविपिराविर गोलियों के परीक्षण की अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई)ने दी है।;

Update: 2020-05-01 00:52 GMT

कोरोना के बढ़ते प्रकोप से निपटने के लिए इसकी वैक्सीन व दवा की खोज करने पर वैज्ञानिक दिन-रात लगे हुए हैं। इसी प्रयास में अब दवा निर्माता ग्लेनमार्क फार्मास्यूटिकल्स देश की पहली ऐसी कंपनी बन गई है जिसे कोरोना संक्रमित मरीजों पर फैविपिराविर गोलियों के परीक्षण की अनुमति ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) ने दी है।

कंपनी ने एक बयान में कहा है कि उसने पैविपिराविर टैबलेट के लिए जरूरी कच्चा माल आंतरिक तौर पर तैयार किया है। इसका यौगिक भी उसने खुद ही विकसित किया है। आगे की प्रक्रिया के लिए डीसीजीआई से इसके परीक्षण की अनुमति कोरोना वायरस से आंशिक तौर पर संक्रमित मरीजों पर करने के लिए मांगी गई थी,जिसके लिए अब औपचारिक मंजूरी मिल गई है।

कंपनी के कहा है कि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों पर दवा परीक्षण के लिए नियामकीय अनुमति पाने वाली वह देश की पहली कंपनी है। उल्लेखनीय है कि फैविपिराविर एक वायरल रोधी दवा है। इंफ्लूएंजा वायरस के इलाज में इस दवा ने प्रभावी प्रतिक्रिया दिखाई है। जापान में इंफ्लूएंजा वायरस के इलाज में इस दवा के इस्तेमाल की अनुमति है।

कंपनी 150 मरीजों पर करेगी परीक्षण

डीसीजीआई से मिली मंजूरी के बाद अब कंपनी आंशिक तौर पर कोरोना वायरस से संक्रमित चुनिंदा 150 मरीजों पर इसका परीक्षण कर सकेगी। साथ ही मरीज पर परीक्षण की अवधि 14 दिन से ज्यादा नहीं होगी। जबकि इसके पूरे अध्ययन की अवधि अधिकतम 28 दिन होगी। बतादें कि इससे पहले अमेरिकी वैज्ञानिकों ने दावा किया था कि कोरोना वायरस के खिलाफ इलाज के लिए एंटीवायरल दवा रैमडेसिवीर का इस्तेमाल मरीजों पर किया गया है,जो कोरोना के इलाज में इस्तेमाल हो रही सामान्य दवाओं के मुकाबले 30 फीसदी ज्यादा तेजी से प्रभावी हो रही है।

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