भारतीय रेलवे के कर्मचारियों को डेढ़ साल तक नहीं मिलेगा महंगाई भत्ता, एक कर्मचारी को होगा इतना नुकसान

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने पूरे देश में लॉक डाउन करने के साथ यात्री ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह से बंद किया जा चुका है। ट्रेनों के आवागमन बंद होने से रेलवे को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश में आर्थिक संकट को देखते हुए कुछ दिन पहले केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ते में 4 फीसदी कटौती करने का आदेश जारी कर दिया है।;

Update: 2020-04-26 04:07 GMT

 लॉकडाउन में एक ओर जहां महंगाई भत्ते में बढ़ोत्तरी हो गई है। वहीं केन्द्र ने रेल कर्मचारियों को दिए जाने वाले डीए यानि महंगाई भत्ते पर रोक लगाने का आदेश जारी कर दिया है, जिससे बिलासपुर एसईसीआर जोन में कार्य करने वाले 45 हजार कर्मचारियों को जनवरी 2020 से जुलाई 2021 डेढ़ वर्ष तक डेढ़ माह के वेतन के बराबर वेतन नहीं मिलने से 345 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ेगा।

कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने पूरे देश में लॉक डाउन करने के साथ यात्री ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह से बंद किया जा चुका है। ट्रेनों के आवागमन बंद होने से रेलवे को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। देश में आर्थिक संकट को देखते हुए कुछ दिन पहले केन्द्र सरकार ने केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ते में 4 फीसदी कटौती करने का आदेश जारी कर दिया है।

इस आदेश के साथ पूरे रेलवे में 10 लाख से अधिक रेल कर्मचारियों के अलावा दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के 45 हजार से अधिक रेल कर्मचारियों को जनवरी 2020 से मिलने वाले महंगाई भत्ते को प्रतिमाह के वेतन में कटौती करना शुरु कर दिया गया है। बिलासपुर जोन के तीनों डिवीजन बिलासपुर, रायपुर और नागपुर में ग्रुप सी और ग्रुप डी के 45 हजार कर्मचारी काम करते हैं।

जिसमें जनवरी 2020 से जुलाई 2021 तक दिए जाने वाले 4 फीसदी महंगाई भत्ते में रोक के कारण प्रति कर्मचारी को 1 लाख से 3 लाख के बीच यानि डेढ़ माह के वेतन बराबर नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूसरी ओर 45 हजार कर्मचारियों को डेढ़ वर्ष तक महंगाई भत्ते नहीं देने के कारण रेलवे को करीब 345 करोड़ रुपए का फायदा भी हो रहा है। केन्द्र सरकार के एकतरफा फैसले का रेलवे कर्मचारी यूनियन ने विरोध शुरु कर दिया है।

कर्मचारियों को वित्तीय नुकसान

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे श्रमिक यूनियन के केन्द्रीय पदाधिकारी सी नवीन कुमार ने बताया कि सारे केन्द्रीय कर्मचारियों को दिए जाने वाले महंगाई भत्ते प्रतिवर्ष दो आर्थिक महंगाई दर के अनुसार केन्द्र सरकार घोषित करती है। प्रथम जनवरी और दूसरा जुलाई माह में घोषित होती है। सरकार ने जनवरी माह के डीए को घोषित किया था, जिसमें केबिनेट ने मंजूरी भी दी थी। इसपर डेढ़ साल के लिए रोक लगा दी गई है, जिससे ग्रुप सी, डी कर्मचारियों को वित्तीय नुकसान होगा।

परेशानी सेवानिवृत्त कर्मचारियों को

लॉक डाउन के दौरान सबसे अधिक दिक्कत सेवानिवृत्त कर्मचारियों को हो रही है, जो इलाज कराने के लिए घर से नहीं निकल पा रहे हैं। आर्थिक संकट के दौरान केन्द्र के डीए में कटौती से रेल कर्मचारियों के साथ सबसे अधिक परेशनी सेवानिवृत्त कर्मचारी और उनके परिवार को होगी। वहीं मध्यमवर्गीय परिवार को पैसा नहीं मिलने की वजह से बाजार में इसका असर पड़ेगा।

आंदोलन की चेतावनी

श्रमिक यूनियन के अतिरिक्त महामंत्री सी नवीन कुमार ने बताया कि सरकार के फैसले का सभी यूनियन ने विरोध शुरु कर दिया है। यात्री ट्रेनों के परिचालन रूकने के बावजूद मालगाड़ी और पार्सल ट्रेनों का परिचालन किया जा रहा है, जो आवश्यक सामग्री लेकर प्रतिदिन एक राज्य से दूसरे राज्य जा रही है। केन्द्र के निर्णय से कर्मचारियों का मनोबल गिरा है। आल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार को पत्र लिखकर निर्णय वापस नहीं लेने पर आंदोलन की चेतावनी दी है।

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