भारतीय रेलवे के इंजन अब होंगे वातानुकूलित, चालकों को नहीं होगी दिक्कत

भीषण गर्मी में ड्यूटी करने वाले चालक-परिचालकों को रेलवे ने राहत देने की योजना बनाई है, जिसके तहत वर्तमान में बनने वाले लोको इंजन अमेरिकन पद्धति से तैयार किए जा रहें हैं। इसमें चालकों को राहत देने के लिए प्रसाधन के साथ एसी की भी सुविधा होगी।;

Update: 2020-05-06 02:14 GMT

भीषण गर्मी में ड्यूटी करने वाले चालक-परिचालकों को रेलवे ने राहत देने की योजना बनाई है, जिसके तहत वर्तमान में बनने वाले लोको इंजन अमेरिकन पद्धति से तैयार किए जा रहें हैं। इसमें चालकों को राहत देने के लिए प्रसाधन के साथ एसी की भी सुविधा होगी।

गर्मी में ट्रेनों का परिचालन मुश्किल हो जाता है। इसकी वजह से कई बार रेल कर्मचारियों की तबीयत भी बिगड़ चुकी है। इंजन में एसी और कूलर लगाने की मांग पिछले कई वर्षाें से रनिंग स्टाफ कर रहे हैं, ताकि किसी तरह की परेशानी न हो सके। दूसरी ओर रेल अफसरों का इंजन में एसी व कूलर की सुविधा देने से चालक, परिचालक के सोने की वजह से अब तक इसकी सुविधा नहीं हो पाई है।

पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान पूरे रेलवे में करीब 10 हजार में से 3 फीसदी इंजन में एसी लगाने का काम रेलवे बोर्ड ने किया, लेकिन एसी की क्वालिटी ठीक नहीं होने से कुछ ही दिन में खराब होने लगे। कर्मचारियों की परेशानियों को देखते हुए रेलवे बोर्ड ने अब इंजन का निर्माण अमेरिकन पद्धति से कराना शुरु कर दिया है। इसमें चालक के लिए एसी और प्रसाधन दोनाें की सुविधा होगी। इस तरह की सुविधायुक्त इंजन की शुरुआत जयपुर डिवीजन में कर दी गई है।

गर्मी में एसी और सर्दी में हीटर

रेलवे से मिली जानकारी के अनुसार अमेरिकन पद्धति से बनाए गए इंजनों में चालक, परिचालकाें की लिए काफी सुविधाएं हैं। इसमें चालकों के लिए बने केबिन में एसी और हीटर दोनों लगे हैं। गर्मी के मौसम में इंजन के अंदर तापमान अधिक न रहे और चालक आराम से ट्रेनों का संचालन कर सकें, इसके लिए एसी और ठंड के मौसम में केबिन के अंदर हीटर लगा होगा। वर्तमान में संचालित होने वाले डीजल और इलेक्ट्रिक लोको इंजन में चालकों के लिए एसी और हीटर तो दूर प्रसाधन तक की व्यवस्था रेल प्रशासन ने नहीं की थी। रेलवे की इस तरह की दी जाने वाली सुविधा से चालक-परिचालकों की परेशानी भी दूर होगी।

कोहरे से नहीं छाएगी ओस

ठंड के मौसम में कोहरे के कारण ट्रेन परिचालन करने वाले चालकों को काफी परेशानी होती है। घटना, दुर्घटना को देखते हुए रेल प्रशासन भी निर्धारित समय पर रवाना होने वाली ट्रेनों को विलंब से रवाना करती है। अमेरिकन पद्धति से बनने वाले इंजन में ठंड के मौसम में दी जाने वाली हीटर की सुविधा मिलने से केबिन गरम रहेगा, जिससे कोच पर ओस की बूंद भी नहीं गिरेंगी।

शुरुआत स्टीम इंजन से

रेलवे में वर्षाें पहले ट्रेन का संचालन स्टीम इंजन से शुरु किया जाता था, जिसमें कोयले डालने से स्टीम बनती थी और इससे ट्रेनों का परिचालन किया जाता था। इस दौरान इंजन में ड्यूटी करने वाले कर्मचारियों की कोयले की आग से हालत खराब हो जाती थी। इसके उपरांत डीजल इंजन से ट्रेनों का परिचालन अब तक किया जा रहा है, जिसमें भी चालक भीषण गर्मी में हलाकान हो रहे हैं।

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