सूदखोरों पर कसेगा शिकंजा, टीम हर महीने करेगी जांच, तहसील दफ्तर में जमा करनी होगी डिटेल
अब लाइसेंस लेकर ब्याज का कारोबार करने वालों पर प्रशासन ने शिकंजा कसने के लिए कमर कस ली है। अब ब्याज कारोबारियों की हर महीने जांच की जाएगी।;
अब लाइसेंस लेकर ब्याज का कारोबार करने वालों पर प्रशासन ने शिकंजा कसने के लिए कमर कस ली है। अब ब्याज कारोबारियों की हर महीने जांच की जाएगी। इसके लिए तहसील स्तर पर 3 सदस्यीय जांच टीम गठित करने की कवायद तेज हो गई है। यह टीम हर महीने कारोबारी द्वारा ब्याज पर दिए गए पैसे की डिटेल जांच करेगी। संदेह होने पर कारोबारी ने जिनको ब्याज पर पैसे दिए हैं, उनसे भी बातचीत करेगी।
यही नहीं, कारोबारी को सालभर के आय-व्यय की डिटेल भी तहसील दफ्तर में जमा करनी होगी, ताकि ब्याज कारोबारी से उनकी कमाई की पूरी जानकारी मिल सके। संभावना है, हफ्तेभर में जांच टीम का गठन कर दिया जाएगा। दरअसल ब्याज पर कर्ज देकर लाखों रुपए के ब्याज की जबरन वसूली को शिकायतें बढ़ती जा रही हैं। वहीं कारोबारी शासन से निर्धारित मापदंड से अधिक ब्याज पर कर्ज देते हैं। साथ ही मूलधन से कई गुना अधिक की वसूली करते हैं। इसे देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से कारोबारी पर निगाह रखने टीम का गठन करने फैसला लिया गया है।
इतने ब्याज पर दे सकते हैं कर्ज
अफसरों के मुताबिक शहरभर में जिला प्रशासन द्वारा 22 कारोबारियों को ब्याज पर कर्ज देने का लाइसेंस जारी किया गया है। नियम के अनुसार ब्याज पर कर्ज लेने वाले से लाइसेंस धारक 1 से 2 फीसदी तक ब्याज ले सकता है। इससे अधिक ब्याज की वसूली करना गलत है। अगर कारोबारी वसूली भी करता है, जितना मूलधन कारोबारी कर्ज देता है, उसके बराबर राशि से अधिक ब्याज की वसूली नहीं कर सकता है।
इसलिए निगरानी जरूरी
ब्याज पर कर्ज देने का लाइसेंस मिलने का रिन्यू कराने से पहले सूदखोर की जांच नहीं होती है। सालों बाद चंद रुपए की फीस जमाकर लाइसेंस रिन्यू करा लेते हैं। इस बीच कारोबारी कितने ब्याज पर कितने की वसूली करता है। इसकी डिटेल प्रशासन के पास नहीं है। इससे उनकी अवैध आय पर सरकारी टैक्स भी जमा नहीं हो पाती है।
इन पाइंट्स पर जांच
अफसरों के मुताबिक ब्याज पर कर्ज देने वालों लाइसेंस धारक के दफ्तर या निवास पर हर महीने जांच टीम जाएगी। उनके पास जमा कर्जदारों के दस्तावेज, उनके परिवार के सदस्यों की भूमिका, उनका और परिजनों का आपराधिक रिकॉर्ड, ब्याज का प्रतिशत, कर्ज देने की समयावधि समेत तमाम पाइंट्स पर टीम जांच करेगी।
इसके तहत होती है कार्रवाई
साहूकारी या कर्जा एक्ट की धारा 4 में कर्ज की वसूली के लिए प्रताड़ित करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है। कर्ज वापसी के लिए प्रताड़ित करने वालों के लिए इस एक्ट में तीन माह या 500 रुपए जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। साथ ही जबरन वसूली और ब्लैकमेलिंग के लिए आईपीसी की धारा भी लगाई जा सकती है।
जल्द बनेगी टीम
तहसीलदार अमित बेग ने कहा है कि ब्याज पर कर्ज देने वाले लाइसेंस धारकों की जांच करने टीम जल्द ही बना दी जाएगी। साथ ही उनसे सालभर के आय-व्यय का लेखा-जोखा लिया जाएगा।
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