JNU Violence: जेएनयू हिंसा पर पुलिस जांच में बड़ा खुलासा, लेफ्ट-एबीवीपी कार्यकर्ताओं का नाम शामिल
जेएनयू हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने हिंसा में शामिल लेफ्ट और एबीवीपी कार्यकर्ताओं की पहचान कर ली है। इन्होंने बाहरी लोगों को भी बुलाया था। जो कि कैंपस में घुसकर हिंसा में शामिल हुए थे।;
दिल्ली की जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी में हुई हिंसा की दिल्ली पुलिस जांच कर रही है पुलिस की शुरूआती जांच में खुलासा हुआ है। नकाब पहनकर जिन लोगों ने यूनिवर्सिटी कैंपस में हिंसा की थी। उसमें अखिल भारतीय विद्या परिषद और लेफ्ट के कार्यकर्ता ही शामिल थे। जेएनयू हिंसा में 34 लोग घायल हुए थे, जिन्हें एम्स में भर्ती कराया गया था। सभी घायलों को कल एम्स से डिस्चार्ज भी कर दिया गया।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों का कहना है कि हिंसा में शामिल लेफ्ट और एबीवीपी कार्यकर्ताओं ने बाहरी लोगों को भी बुलाया था। चेहरा ढक कर हिंसा करने वालों की पहचान कर ली गई है। क्राइम ब्रांच अपनी जांच में व्हाट्सएप चैट को भी खंगाल रही है। कुछ व्हाट्सएप चैट की पुष्टि हो गई है, व्हाट्सएप चैट के आधार पर ही आरोपियों की तलाश की जा रही है, जो लोग चैट में शामिल थे। उनको लेकर पुलिस अलर्ट है।
पुलिस का मानना है कि व्हाट्सएप चैट के जरिए ही लोगों को कैंपस में इकट्ठा किया गया और इकट्ठे हुए लोगों लाठी डंडे लेकर हंगामा मचाया था। सीपी शालिनी सिंह की अगुवाई में जेएनयू हिंसा की जांच चल रही है।
बता दें कि जेएनयू में हुई हिंसा के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहा है। मुंबई, कोलकाता समेत कई शहरों में छात्र और सामाजिक कार्यकर्ता हिंसा के विरोध में प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार शाम को प्रदर्शन के दौरान बंगाल की जाधवपुर यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनकारियों और पुलिस में झड़प हो गई थी। सबसे चौंकाने वाली खबर मुंबई से आई, जहां प्रदर्शन के दौरान 'फ्री कश्मीर' का पोस्टर भी दिखाई दिया जिसको लेकर काफी बवाल हुआ।
जेएनयू में हुई हिंसा को लेकर राजनीति भी चरम पर है। बीजेपी और कांग्रेस एक दूसरे को हिंसा के लिए जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को समाप्त किया जा रहा है और कांग्रेस जेएनयू हिंसा को सरकार प्रायोजित बता रही है।