फांसी से पहले जेलर से राम प्रसाद बिस्‍मिल ने कहा मैंने कसरत इसलिए की ताकि अगले जन्म में ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा कर सकूं

काकोरी कांड में स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्लाह खान और रोशन सिंह को फांसी की सजा हुई थी जबकि कई क्रांतिकारियों को जेल की सजा हुई थी।;

Update: 2019-12-19 07:21 GMT

देश की आजादी के लिए हंसते-हंसते अपनी जान देने वाले आजादी के मतवाले राम प्रसाद बिस्‍मिल, अशफाक उल्‍ला खान और ठाकुर रोशन सिंह को 19 दिसंबर 1927 को फांसी दी गई थी। इस दिन को शहादत दिवस के रूप में याद किया जाता है। देश की कई हस्तियों ने स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला जी और रोशन सिंह जी के बलिदान दिवस पर नमन किया है। चलिए जानते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ खास बातें।

आजादी के मतवालों को काकोरी कांड में मिली सजा

काकोरी कांड में स्वतंत्रता सेनानी रामप्रसाद बिस्मिल, राजेंद्रनाथ लाहिड़ी, अशफाक उल्लाह खान और रोशन सिंह को फांसी की सजा हुई थी जबकि कई क्रांतिकारियों को जेल की सजा हुई थी। यह घटना 9 अगस्त 1925 को लखनऊ के पास काकोरी में घटी थी।

अंग्रेजों का ताकत का अहसास कराने के लिए किया काकोरी कांड

भारत के क्रांतिकारियों ने देश की आजादी की लड़ाई अंग्रेजों को अपना ताकत का एहसास कराया था। क्रांतिकारियों का कहना था कि यदि हम इसी तरह से विनम्र रहे तो हम अंग्रेजों को कुछ नहीं कर पाएंगे। इसलिए क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत को अपनी ताकत का अहसास करवाने के लिए सशस्त्र लड़ाई का फैसला लिया। लेकिन इसले लिए रुपयों को जरूर थी। इसी को ध्यान में रखेत हुए राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में क्रांतिकारियों ने सरकारी खजाना लूटने की योजना बनाई।

इसी योजना के तहत राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में 10 क्रांतिकारियों ने 9 अगस्त 1925 को लखनऊ से करीब 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित काकोरी में ट्रेन लूट की घटना को अंजाम दिया था। क्रांतिकारियों ने सहारनपुर से लखनऊ जाने वाली पैसेंजर ट्रेन को काकोरी में जबरदस्ती रुकवाया। उन्होंने गार्ड और सवारियों को बंदूक की नोंक पर काबू में कर लिया। और गार्ड के क्वॉर्टर में रखी तिजोरी खुलवाई, इसके बाद उसमें से नकदी लेकर फरार हो गए थे।

काकोरी कांड की घटना में 40 लोगों को किया गया गिरफ्तार

9 अगस्त की घटना के एक महीने के भीतर अंग्रेजों ने 40 लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। इनमें राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, दुर्गा भगवती चंद्र वोहरा, रोशन सिंह, सचींद्र बख्शी, केशव चक्रवर्ती, बनवारी लाल, स्वर्ण सिंह, चंद्रशेखर आजाद, विष्णु शरण डबलिश, मुकुंदी लाल, शचींद्रनाथ सान्याल एवं मन्मथनाथ गुप्ता आदि शामिल थे। लेकिन 11 लोगों को छोड़ दिया गया था और 29 लोगों के खिलाफ स्पेशल मैजिस्ट्रेट की अदालत में मुकदमा चला।

कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा

स्पेशल मैजिस्ट्रेट की अदालत ने काकोरी कांड में अप्रैल 1927 में फैसला सुनाया था। इस फैसले में कोर्ट ने राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाकुल्ला खान, राजेंद्र लाहिड़ी, ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई। जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया उन्हें 14 साल जेल की सजा दी गई थी। जबकि दो लोग सरकारी गवाह बन गए थे इसलिए अंग्रेजों ने उन्हें माफ कर दिया था। वहीं चंद्रशेखर आजाद किसी तरह फरार होने में सफल हो गए थे। लेकिन बाद में वह देश के लिए शहीद हो गए।

फांसी के दिन राम प्रसाद बिस्मिल ने की कसरत

गोरखपुर जेल में जब जेलर राम प्रसाद बिस्मिल को फांसी के लिए लेने आईं तो वह काफी अच्छे मूड में थे। इस समय वह कसरत कर रहे थे। इस दौरान जेलर ने उनसे कहा कि अब आपको फांसी होने जा रही है, आपका कसरत करने का क्या फायदा है। इसके बाद उन्हेंने जेलर को करारा जवाब दिया। राम प्रसाद बिस्मिल ने कहा था मैं कसरत इसलिए कर रहा हूं ताकि स्वस्थ रहूं और अगले जन्म में में ब्रिटिश हुकूमत का खात्मा कर सकूं। बता दें कि राजेंद्र लाहिड़ी को 17 दिसंबर 1927 को गोंडा जेल में, 19 दिसंबर को राम प्रसाद बिस्मिल को गोरखपुर जिला जेल, अशफाक उल्लाह खान को फैजाबाद जिला जेल और रोशन सिंह को इलाहाबाद के मलाका जेल में फांसी दी गई थी। 

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