नौसेना की समुद्री ताकत बढ़ाएगी खंडेरी पनडुब्बी, 28 सितंबर को बेड़े में होगी शामिल

खंडेरी स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है, जिसे एमडीएल और फ्रांस की फ्रेंच कंपनी नेवल ग्रुप द्वारा मिलकर बनाया जा रहा है। नौसेना ऐसी कुल 6 पनडुब्बियों को अपने बेड़े में शामिल करेगी।;

Update: 2019-09-14 17:34 GMT

नौसेना की समुद्री ताकत में जल्द ही इजाफा देखने को मिलेगा। क्योंकि 28 सितंबर को मुंबई में स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी 'आईएनएस खंडेरी' नौसेना में शामिल हो जाएगी।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि इस बाबत आयोजित किए जाने वाले कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह और मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी शिरकत करेंगे। इसी दिन मुंबई में दो अन्य कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। जिनमें भी रक्षा मंत्री की मौजूदगी रहेगी।

एक में वह नौसेना के प्रोजेक्ट बी(17ए) श्रेणी के पहले जंगी युद्धपोत को समुद्री परीक्षणों के लिए लांच करेंगे और दूसरे में विमानवाहक युद्धपोत के लिए एमडीएल में बनाई गई सूखी गोदी का उद्घाटन करेंगे। इसी गोदी में भविष्य में भारत में बनाए जाने वाले विमानवाहक युद्धपोतों के मरम्मत के कार्य किए जाएंगे।

गौरतलब है कि खंडेरी स्कॉर्पीन श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है, जिसे एमडीएल और फ्रांस की फ्रेंच कंपनी नेवल ग्रुप द्वारा मिलकर बनाया जा रहा है। नौसेना ऐसी कुल 6 पनडुब्बियों को अपने बेड़े में शामिल करेगी। जिसमें पहली पनडुब्बी आईएनएस कलवरी को 2017 में शामिल किया जा चुका है।

नौसेना का राफेल

नौसेना के वरिष्ठ सेवानिवृत अधिकारी वाइस एडमिरल ए़ के़ सिंह ने कहा कि स्कॉर्पीन श्रेणी की सभी 6 पनडुब्बियों को नौसना का राफेल कहा जा सकता है। यह दूसरी पीढ़ी की पनडुब्बी है, जिसका वजन करीब 1800 टन है। इसमें कई उन्नत सेंसर्स, एंटी शिप मिसाइल और टॉरपीडो लगे हुए हैं। यह पानी के अंदर बेहद खामोशी से ज्यादा देर तक रह सकती है।

वर्तमान चुनौतियों और हिंद महासागर में चीन की बढ़ती घुसपैठ का मुकाबला करने में भी यह काफी मददगार साबित होगी। नौसेना में खंडेरी दो साल की देरी से शामिल हो रही है। इसे पहली पनडुब्बी कलवरी के दिसंबर 2017 में नौसेना में आगमन के नौ महीने बाद सितंबर 2018 में ही शामिल हो जाना चाहिए था।

लेकिन यह दो साल की देरी से सितंबर 2019 में शामिल हो रही है। इस वक्त नौसेना में कुल करीब 16 पनडुब्बियां हैं। इनमें से एक परमाणु चालित, एक बैलेस्टिक मिसाइल दागने में सक्षम और 14 परंपरागत पनडुब्बियां हैं।

इनमें से 14 परंपरागत पनडुब्बियां तीन दशक का अपना सेवाकाल पूरा कर अब सेवानिवृति की राह देख रही हैं। ऐसे में स्कॉर्पीन श्रेणी की इन दो पनडुब्बियों की मदद से नौसेना की पानी के अंदर दुश्मन से लड़ने की ताकत में कई गुना इजाफा होगा।  

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