कुलभूषण जाधव केस: जानें क्या होता है कॉन्सुलर एक्सेस, कब हुई इस संधि की शुरुआत

भारत पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे पर चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक और पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाक कॉन्सुलर एक्सेस देगा। इस बात की जानकारी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दी। लेकिन आखिर किसे दिया जाता है कॉन्सुलर एक्सेस।;

Update: 2019-09-02 04:27 GMT

भारत पाकिस्तान (India Pakistan) के बीच कश्मीर मुद्दे पर चल रहे तनाव के बीच पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक और पूर्व नौसेना अधिकारी कुलभूषण जाधव (Kulbhushan Jadhav) को पाक कॉन्सुलर एक्सेस (Counselor Access) देगा। इस बात की जानकारी पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने दी। पाक द्वारा कॉन्सुलर एक्सेस देने के बाद भारत ने दो टूक जवाब दिया है। अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा पाकिस्तान में जाधव की फांसी पर रोक रोक लगाई गई है।

विदेश मंत्रालय की पाक को दो टूक

पाकिस्तान द्वारा कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस देने के मामले में भारत के विदेश मंत्रालय ने रविवार को ट्वीट कर स्पष्ट जवाब दे दिया। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुलभूषण जाधव के लिए अप्रभावित और अप्रतिबंधित कॉन्सुलर एक्सेस में कुछ भी भारत द्वारा स्वीकार नहीं किया जाएगा। भारत ने साफ कहा कि जब जाधव से बातचीत होगी तो पाकिस्तान का कोई भी अधिकारी वहां मौजूद नहीं होगा। वहीं पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय जासूस कमांडर कुलभूषण जाधव जो भारतीय नौसेना से रिटायर्ड है और रॉ के लिए काम करते हैं। मोहम्मद फैसल ने एक ट्विटर कर यह जानकारी शेयर की थी। 


कौन होता है कॉन्सुलर एक्सेस

कॉन्सुलर एक्सेस का सीधा का मतलब होता है कि जब एक देश का नागरिक दूसरे देश की जेल में बंद हो और उसके देश के राजदूत या दूतावास के अधिकारी मुलाकात के लिए जाते हैं। उस कैदी से बातचीत करते हैं। कैदी से केस और उसको किस तरह की सुविधा चाहिए उसकी रिपोर्ट अपनी देश की सरकार को देते हैं।

कुलभूषण जाधव की फांसी पर अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट द्वारा रोक लगाने के बाद पाकिस्तान जेल में बंद भारतीय कैदी कुलभूषण जाधव को कॉन्सुलर एक्सेस दे रहा है। पाकिस्तान में मौजूद भारत के राजदूत या दूतावास के अधिकारी कुलभूषण जाधव से मिलने की इजाजत दे दी गई है। इसी को कॉन्सुलर एक्सेस कहते हैं। इसके बाद अधिकारी कैदी के साथ कैसे व्यवहार हो रहा है और वो कैदी क्या चाहता है। इसकी एक रिपोर्ट बनाकर भारत सरकार को भेजेंगे। उसके बाद भारत सरकार अपने आगे की कार्रवाई उसी बयान के आधार पर करेगी।

कॉन्सुलर एक्सेस एक तहत की दो देशों के बीच चुनिंदा मामलों में संधि है। 1963 के दौरान कॉन्सुलर एक्सेस पर वियना कन्वेंशन (VCCR) की शुरुआत हुई थी। इस दौरान जब रूस और अमेरिका के जासूद एक दूसरे के देशों में पकड़े जाते थे तब पकड़े गए जासूसों तक पहुंच बनाने के लिए संधि की जाती थी। इस संधि में 170 देश आते हैं। लेकिन ये फैसले पर निर्भर करता है कि कितनी जल्दी कोई देश का दूतावास अपने कैदी तक पहुंच पाता है। अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट जाने के बाद कुलभूषण जाधव को यह सुविधा मिली। 


क्या है मामला

भारतीय नागरिक और नौसेना के पूर्व अधिकारी कुलभूषण जाधव को पाकिस्तान की कोर्ट ने कथित जासूसी के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी। पाकिस्तान का दावा है कि जाधव एक रॉ एजेंट है और अशांति फैलाने के लिए बलूचिस्तान भेजा गया था। हालांकि, भारत का कहना है कि वह कुछ समय पहले नौसेना से सेवानिवृत्त हुआ था और पाकिस्तान ने उसका अपहरण ईरान से किया और उसके बाद बलूचिस्तान लाया गया। जबकि वो ईरान में एक बिजनेसमैन के रूप में काम कर रहे थे। 17 जुलाई को हेग स्थित इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस ने पाकिस्तान को उसकी फांसी पर रोक लगाने और उसे कांसुलर एक्सेस की अनुमति देने का निर्देश दिया।

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