लखीमपुर खीरी कांड: योगी सरकार की रिपोर्ट से नाखुश नजर आया सुप्रीम कोर्ट, जांच के लिए दिया अन्य विकल्प

लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में हुई हिंसा की जांच को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई।;

Update: 2021-11-08 09:16 GMT

उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) में तीन अक्टूबर को हुई हिंसा की जांच को लेकर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल की गई स्टेटस रिपोर्ट पर भी नाराजगी जताई। इसके साथ ही कोर्ट ने हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की निगरानी में मामले की जांच का प्रस्ताव रखा है।

सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया है कि पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के रिटायर्ड जज राकेश कुमार जैन या रिटायर्ड जज रंजीत सिंह लखीमपुर खीरी जांच की निगरानी कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट पर नाराजगी जताते हुए घटना की स्थिति रिपोर्ट में कुछ और गवाहों के बयान होने के सिवा कहने को कुछ नहीं है। उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि 15 नवंबर तक लैब की रिपोर्ट आ जाएगी।

सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार से पूछा कि सिर्फ आशीष मिश्रा का फोन ही क्यों जब्त किया गया। दूसरों का क्या हुआ। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि मामले में सबूतों का मिश्रण तो नहीं है, हम मामले की जांच की निगरानी के लिए एक अलग उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश को नियुक्त करने के इच्छुक हैं। इस बीच, सरकार ने कोर्ट को सूचित किया कि स्थानीय पत्रकार रमन कश्यप को किसानों ने नहीं मारा था, बल्कि घटना में शामिल वाहन द्वारा कुचले जाने के बाद उसकी मौत हो गई थी।

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