Lal Bahadur Shastri Death Anniversary 2023: यहां पढ़ें लाल बहादुर शास्त्री की जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
Lal Bahadur Shastri Death Anniversary 2023: हर साल भारत में 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई जाती है।;
Lal Bahadur Shastri Death Anniversary 2023: हर साल भारत में 11 जनवरी को लाल बहादुर शास्त्री की पुण्यतिथि मनाई जाती है। जिन्हें हम भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के तौर पर भी जानते हैं। शास्त्री जी की मौत साल 1966 में उज्बेकिस्तान के ताशकंद में हुई थी। तीन दशकों से अधिक की सेवा के दौरान उन्होंने सर्वोच्च सत्यनिष्ठा और क्षमता वाले व्यक्ति के रूप में अपनी पहचान बनाई। वह स्वभाव से विनम्र और सहनशील थे। वह लोगों की भाषा समझते थे और देश के विकास के लिए उनके पास एक दृष्टिकोण था। लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था। उनके पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव इलाहाबाद राजस्व कार्यालय में एक क्लर्क थे। शास्त्री जी के जन्म की तारीख महात्मा गांधी के जन्म दिवस के साथ मेल खाती है।
लाल बहादुर शास्त्री की जिंदगी से जुड़े कुछ रोचक तथ्य
1. जब 1964 में लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने, तो विदेशों से खाने-पीने का सामान मंगवाया जाता था। उस समय देश पीएल-480 योजना के तहत खाद्यान्न के लिए उत्तरी अमेरिका पर निर्भर था। लेकिन 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के बाद देश में भयंकर सूखा पड़ गया। इन परिस्थितियों से उभरने के लिए शास्त्री जी ने देशवासियों से एक दिन का उपवास करने का अनुरोध किया था और 'जय जवान जय किसान' का नारा दिया था।
2. स्वतंत्रता संग्राम के दौरान लाल बहादुर शास्त्री को सहकारिता आंदोलन के तहत 17 साल की उम्र में पहली बार जेल जाना पड़ा था। लेकिन उस वक्त वह नाबालिग थे। इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया था। इसके बाद 1930 में सविनय अवज्ञा आंदोलन के तहत वे ढाई साल के लिए जेल में बंद रहे थे। इसके बाद तो वह आजादी से पहले कई बार जेल गए। 1940 से 1946 के बीच उन्हें कई बार जेल जाना पड़ा। वह 9 सालों तक जेल में रहे।
3. लाल बहादुर शास्त्री का व्यक्तित्व बहुत ही ईमानदार और देशभक्ति से भरा हुआ था। जब वे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान जेल में थे। तो उनकी पत्नी किसी तरह चुपके से उनके लिए दो आम लेकर जेल चली गईं। इस पर उन्होंने नाराजगी जताते हुए पत्नी के खिलाफ धरना दे दिया था। इतना ही नहीं एक बार उन्हें जेल से अपनी बीमार बेटी से मिलने के लिए 15 दिन की पैरोल भी मिली थी।
4. जाति के खिलाफ होने के कारण शास्त्री जी ने कभी भी अपने उपनाम का इस्तेमाल नहीं किया। शास्त्री उनकी उपाधि थी, जो उन्हें काशी विद्यापीठ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद मिली थी। इसके अलावा उन्होंने शादी में दहेज लेने से मना कर दिया था। अपने ससुर के बहुत जोर देने पर उनका सम्मान करते हुए कुछ मीटर खादी ले ली थी।
5. लाल बहादुर शास्त्री ने महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए भी काम किया। परिवहन मंत्री के कार्यकाल में उन्होंने सबसे पहले महिलाओं को परिवहन क्षेत्र से जोड़ा, उन्हें कंडक्टर के रूप में लाने की पहल की थी। इसके अलावा प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए उन्होंने लाठीचार्ज की जगह वाटर कैनन का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया था।