Madhya pradesh: जानें कैसे शुरू हुआ मध्य प्रदेश में राजनीति का सियासी ड्रामा

Madhya pradesh: मध्य प्रदेश की राजनीति का सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। 9 फरवरी से ही मध्य प्रदेश की सियासी घमासान जारी है।;

Update: 2020-03-16 05:58 GMT

Madhya pradesh: मध्य प्रदेश की राजनीति का सियासी ड्रामा खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। 9 फरवरी से ही मध्य प्रदेश की सियासी घमासान जारी है। फिलहाल तो सोमवार को विधानसभा में कमलनाथ सरकार अपनी राजनितिक शक्ति का परीक्षण के लिए तैयार है।

हालाकिं देर रात मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने साढ़े 12 बजे राजभवन में राज्यपाल लालजी टंडन से मुलाकात। इस पर कमलनाथ बोले कि राज्यपाल ने उन्हें विधानसभा की कार्यवाही निर्बाध चलानी चाहिए। इसके तहत कमलनाथ ने राज्यपाल से कहा कि मैं सोमवार को स्पीकर से बात करूंगा।

इससे पहले राजस्थान के जयपुर में रुके कांग्रेस के 85 विधायकों को भोपाल तक लाने के लिए सियासी ड्रामा चला और साथ ही कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह और शोभा ने कमलनाथ से उनके घर पर मूलाकात की। परन्तु उसमें रात के विधानसभा के कर्यक्रम का ही जिक्र था।

राज्यपाल ने कमलनाथ को लिखे पत्र में कहा है कि विधानसभा में फिलहाल बटन दबाकर मतदान की कोई भी व्यवस्था नहीं होगी। हाथ उठाकर मत विभाजन कराने का आदेश दिया गया है।

मध्य प्रदेश की राजनीति में यह ड्रामा 9 मार्च को 22 कांग्रेस विधायकों के बाद शुरू हुआ। पार्टी के पूर्व नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के वफादारों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया था। जिन्होंने भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी। 15 महीने पुरानी सीएम कमलनाथ की सरकार अल्पमत में है।

अब तक स्पीकर ने छह इस्तीफे स्वीकार कर लिए हैं। जिससे विधानसभा की कुल ताकत 222 हो गई है और 112 को नया बहुमत मिला है। भाजपा के विधानसभा में 107 विधायक हैं।

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