Mahatma Gandhi Jayanti 2020: महात्मा गांधी पहली बार इस मामले में हुए थे फेल, आप भी जानें
23 सितंबर 1944 को जी समय महात्मा गांधी भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। उस वक़्त महात्मा गांधी ने मुहम्मद अली जिन्ना को दो पत्र लिखे थे।;
Mahatma Gandhi Jayanti 2020: 2 अक्टूबर को देशभर में महात्मा गांधी जयंती मनाई जाएगी। इस दिन राष्ट्रीय अवकाश होता है। मोहनदास करमचंद गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। भारत के स्वतंत्रता संग्राम में गांधी जी के अमूल्य योगदान और अहिंसा के तरीके की वजह से उन्हें याद किया जाता है। 1930 में उन्होंने दांडी मार्च किया था। इसके बाद 1942 में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत की।
देश की आजादी में गांधी जी ने अहम किरदार निभाया था। गांधी जी के आंदोलनों ने अंग्रेजों को ये एहसास दिला दिया था कि ये देश उनके लिए रहने का स्थान नहीं बचा है। गांधी जयंती के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसी कहानी के बारे में, जिसे महात्मा गांधी के जीवन की सबसे बड़ी पराजय माना जाता है।
गांधी जी अंग्रेजों को भगाने की कर रहे थे कड़ी मेहनत
23 सितंबर 1944 को जी समय महात्मा गांधी भारत से अंग्रेजों को भगाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे थे। उस वक़्त महात्मा गांधी ने मुहम्मद अली जिन्ना को दो पत्र लिखे थे। बताया जाता है कि पहले पत्र में गांधी जी ने लिखा था, कल शाम की हमारी बातचीत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं रही। हम कभी एक पन्ने पर नहीं मिलते। हमारी सोच और हमारे विचार एक दूसरे के समानांतर में चलते दिखाई देते हैं। हम एक-दूसरे से बिछड़ना नहीं चाहते, इसलिए हमने दोबारा चर्चा करने की कवायद शुरू की। मैं चाहता हूं कि आप मुझे बताएं कि आप किन बातों पर मेरा हस्ताक्षर लेना चाहते हैं। इसकी जानकारी आप मुझे पत्र के मध्यम से दें।
गांधी जी के इस पत्र का जवाब मोहम्मद अली जिन्ना ने बड़ी बेरुखी के साथ दिया था। मोहम्मद अली जिन्ना ने लिखा था, आपके पास ऐसी हैसियत नहीं है कि आप किसी का प्रतिनिधित्व करें। हस्ताक्षर की बात तो तब आएगी जब आपके पास प्रतिनिधि बनने की हैसियत होगी। मेरा फैसला नहीं बदल सकता है। हम मार्च 1940 वाले लाहौर-प्रस्ताव के सिद्धांतों पर कायम रहेंगे। बता दें कि यह प्रस्ताव द्विराष्ट्र सिद्धांत और भारत के विभाजन को लेकर किया गया था। और ये गांधीजी की सबसे बड़ी विफलता थी।