Martyrs Day 2022: महात्मा गांधी की आज 74वीं पुण्यतिथि, जानें आखिर क्यों गांधी जी को ट्रेन के डिब्बे से बाहर फेंका गया था!

भारत की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) की नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी।;

Update: 2022-01-30 04:31 GMT

Martyrs Day 2022 (शहीद दिवस 2022): भारत की स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नायक मोहनदास करमचंद गांधी (Mohandas Karamchand Gandhi) की नाथूराम गोडसे (Nathuram Godse) ने 30 जनवरी 1948 को गोली मारकर हत्या कर दी थी। तब से देश में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। देश इस साल गांधी जी (Gandhiji) की 74वीं पुण्यतिथि (Mahatma Gandhi 74th death anniversary) मना रहा है। महात्मा गांधी ने अपने सकारात्क विचारों से पूरी दूनिया को प्रभावित किया था। महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविद, पीएम मोदी और अन्य नेताओं ने राजघाट पर पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

जानकारी के लिए आपको बता दें कि गांधी जी सबको एक साथ लेकर चलने पर विश्वास करते थे। गांधी जी ने हमेंशा अपने विचारों पर पहले खुद अमल किया। फिर पूरे विश्व के सामने अपने विचार रखे। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि गांधी जी ने किस वजह से कड़ाके की सर्दी में अफ्रीका के एक रेवले स्टेशन पर रात बिताई थी।

आखिर क्यों गांधी जी को ट्रेन के डिब्बे से बाहर फेंका गया!

बताया जाता है कि अफ्रीका की डरबन की ए कोर्ट के यूरोपीय मजिस्ट्रेट ने महात्मा गांधी को पगड़ी उतारने के लिए कहा था। लेकिन गांधी जी ने यूरोपीय मजिस्ट्रेट के आदेश को मानने से इनकार कर दिया था। इसके बाद गांधी ने अदालत से बाहर चले गए। इस घटना के कुछ दिनों के बाद जब गांधी जी ट्रेन से प्रिटोरिया जा रहे थे तब उन्हें रेलवे के प्रथम श्रेणी के डिब्बे से बाहर फेंक दिया गया था। जिस कारण गांधी जी को एक रेलवे स्टेशन पर कड़ाके की सर्दी की रात में स्टेशन पर ठिठुरते हुए रात बितानी पड़ी थी। कहा जाता है कि इसके बाद उसी यात्रा के दौरान गांधी जो ने एक घोड़ागाड़ी के ड्राइवर को पीटा था।

ट्रेन के डिब्बे से बहर फेंकने की वजह ये थी कि उन्होंने यूरोपीय यात्री को अपनी सीट (जगह) देने से साफ मना कर दिया था। क्योंकि, गांधी जी ऐसा करते तो उन्हें पायदान पर बैठना पड़ता जो कि उन्हें कभी मंजूर नहीं था। आखिर में उन्हें उस होटल में जाने से भी मना कर दिया गया जो कि सिर्फ यूरोपीय लोगों के लिए ही था। नटाल में भारतीय व्यापारी इसी तरह बेइज्जत हुआ करते थे और उन इसकी आदत हो गई थी। लेकिन जो लोग नए थे उनके लिए ये बहुत बड़ी बेइज्जती का विषय था। गांधी जी तो खुद स्वाभिमानी थे और पराए देश में इस तरह का अपमान उनके लिए असहनीय था। लेकिन इस अपमान ने गांधी जी के जीवन में कुछ बदलाव भी लाए थे।

जानिए किस तरह मनाया जाता है शहीद दिवस

जानकारी के लिए आपको बता दें कि हर वर्ष देश में 30 जनवरी को शहीद दिवस मनाया जाता है। इस दिन देश के राष्ट्रपति, उप-राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और तीनों सेना के प्रमुख राजघाट स्थित महात्मा गांधी की समाधि पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हैं। सेना के जवान भी इस मौके पर गांधी जो को श्रद्धांजलि देने के लिए अपने हथियार को नीचे छुकाते हैं। इसे सेना की भाषा में सम्मान देना कहते हैं। इस दिन पूरे देश में महात्मा गांधी के साथ-साथ अन्य शहीदों को भी याद किया जाता है और उनकी याद में 2 मिनट का मौन भी रखा जाता है। गांधी जी सभी धर्मों को एक जैसा मानते थे। उनको सम्मान देने के लिए सभी धर्म के लोग प्रार्थना करते हैं।

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