MEA ने CANADA में खालिस्तान जनमत संग्रह को हास्यास्पद बताया, कहा- मित्र देश में ऐसी गतिविधियां चिंताजनक
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कनाडा में खालिस्तान जनमत संगह पर कड़ी प्रतिक्रिया देने के साथ ही तुकी के राष्ट्रपति एर्दोगन के कश्मीर को लेकर टिप्पणी पर अहम बयान दिया। पढ़िये रिपोर्ट...;
कनाडा (Canada) में सिख तुष्टिकरण के तहत भारत को तोड़ने की साजिश रची जा रही है। भारत (India) के मित्र देश कनाडा में इस वक्त खालिस्तान जनमत संग्रह (Khalistan Referendum ) किया जा रहा है। इसका उद्देश्य भारत के पंजाब राज्य (Punjab State) को देश से अलग करना है। भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने इस खालिस्तान जनमत संग्रह को हास्यास्पद बताया है तो वहीं मित्र देश में इस तरह की गतिविधियों के लिए चिंता भी जताई है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कनाडा में खालिस्तान जनमत संग्रह पर कहा कि यह एक हास्यास्पद अभ्यास है, जो कनाडा में चरमपंथी और कट्टरपंथी तत्वों की ओर से आयोजित किया गया था। इस मामले को कनाडा अथॉरिटी के साथ उठाया गया। हमें यह बेहद आपत्तिजनक लगता है कि एक मित्र देश में राजनीति से प्रेरित इस कार्य को इजाजत मिली है।
कश्मीर पर तुर्की के राष्ट्रपति की टिप्पणी पर दिया जवाब
अरिंदम बागची ने तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तईप एर्दोगन की यूएनजीए में कश्मीर पर टिप्पणी को गैरजरूरी बताया। उन्होंने कहा कि यह एक अलग मुद्दा है। हमारी स्थिति सब जानते हैं। जम्मू-कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है और हमने अपना विरोध जताया है। उन्होंने कहा कि यूएनजीए में अन्य देशों द्वारा कश्मीर का संदर्भ कोई मायने नहीं रखता है।
विदेशों में नौकरी से पहले सावधानी बरतें भारतीय
केंद्र सरकार को पत्र मिला था कि थाइलैंड में नौकरी का झांसा देकर म्यांमार भेजा गया, जहां बंधक बनाकर साइबर क्राइम करा रहे हैं। पत्र में बताया गया कि 300 से अधिक कामगार बंधक हैं और उन्हें प्रताड़ना भी झेलनी पड़ रही है। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि हमें इस बात की जानकारी है कि आईटी कंपनियां थाईलैंड में नौकरी के बहाने भारतीय कामगारों की भर्ती करती हैं। इसके बाद म्यांमार ले जाया गया था। हमारे प्रयासों की बदौलत हमने कुछ लोगों को बचाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय नागरिकों से वहां नौकरी की पेशकश लेने से पहले सावधानी बरतने का आग्रह करते हैं।