रक्षा मंत्रालय ने कहा एलएसी को लेकर सकारात्मक माहौल में हुई मेजर जनरल रैंक स्तर की अहम बैठक, बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमति

चुशूल की बैठक में भारत की ओर से चीनी सैन्य अधिकारियों के सामने अप्रैल 2020 तक की जा रही सेनाओं की नियमित गश्त वाली स्थिति को ही बहाल करने पर जोर दिया गया।;

Update: 2020-06-10 16:01 GMT

पूर्वी लद्दाख में तीन जगहों से हुई भारत और चीन की सेनाओं की वापसी के बाद बुधवार को दोनों देशों के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के एक अन्य इलाके फिंगर 4 से भी तमाम मतभेद दूर करने को लेकर मेजर जनरल रैंक स्तर की एक अहम बैठक हुई। रक्षा मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि बेहद सकारात्मक माहौल में यह बैठक हुई जिसमें दोनों पक्षों ने एलएसी के विवाद को आपसी बातचीत से हल करने पर सहमति जताई है और जल्द ही पुरानी स्थिति बहाल करने की दिशा में कदम बढ़ाने की बात भी कही है।

इसके लिए आने वाले दिनों में लद्दाख में स्थानीय सैन्य कमांडरों के अलग-अलग स्तर पर बातचीत की जाएगी। जिसमें जल्द होने वाली आगामी बैठक ब्रिगेडियर स्तर की होगी। अभी दोनों देशों की सेनाएं फिंगर 4 के इलाके में अपनी-अपनी जगह पर ही तैनात हैं। उधर चीन की ओर से भी एलएसी पर जारी मतभेदों को बातचीत के जरिए हल करने की दिशा में दोनों देशों द्वारा सकारात्मक ढंग से आगे बढ़ने की बात कही गई है।

अप्रैल की स्थिति चाहता भारत

उक्त बैठक की रूपरेखा बीते दिनों हुई मोल्डो में हुई लेफ्टिनेंट जनरल रैंक स्तर की सैन्य वार्ता में ही तैयार कर ली गई थी। चुशूल की बैठक में भारत की ओर से चीनी सैन्य अधिकारियों के सामने अप्रैल 2020 तक की जा रही सेनाओं की नियमित गश्त वाली स्थिति को ही बहाल करने पर जोर दिया गया। जिसमें भारतीय सेना फिंगर 1 से 8 तक के इलाके में नियमित गश्त करती थी। लेकिन चीनी सेना ने इस बार उसे फिंगर 4 पर ही रोक दिया था और वहां तनाव बढ़ाने के लिए अत्यधिक सैनिकों के साथ सैन्य साजो सामान की भी तैनाती कर दी थी। दोनों देश जरूरी संवाद प्रक्रिया के जरिए इसका भी हल निकालने के पक्ष में हैं।

तीन जगहों से पीछे हटी सेनाएं

दोनों देशों के बीच बीते 6 जून को शीर्ष सैन्य अधिकारियों के स्तर पर हुई बैठक के बाद 9 जून को एलएसी पर गलवान घाटी, पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और हॉट स्प्रिंग जैसे तीन इलाकों से भारत और चीन की सेनाएं पीछे हटनी शुरू हुई हैं। लेकिन इस तनाव को पूरी तरह से खत्म करने के लिए भविष्य में बातचीत के कई दौर चलेंगे। दोनों देश एलएसी पर किसी भी प्रकार के मतभेद को खत्म करने के लिए पूर्व में स्थापित सैन्य और कूटनीतिक बातचीत के तंत्र की मदद से ही इसका समाधान निकालने के इच्छुक हैं।

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