कांग्रेस शासन में भी राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ दर्ज हुए मानहानि केस, पढ़िये देश में सुर्खियां बटोरने वाले मामले
कांग्रेस के सांसद राहुल गांधी को मानहानि मामले में दो साल की सजा मिलने के बाद से सियासत चरम पर है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार विरोधियों की आवाज दबाने के लिए साजिश रच रही है। खास बात है कि कांग्रेस शासन में भी कई विरोधियों के खिलाफ मानहानि के केस दर्ज कराए गए। पढ़िये उस वक्त की सुर्खियां बटोरने वाले मामले...;
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में दो साल की सजा मिलने के बाद से सियासत उफान पर है। कांग्रेस आज जहां राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलेगी, वहीं दिल्ली के विजय चौक तक प्रदर्शन किया है। यही नहीं, 27 मार्च को देशव्यापी प्रदर्शन करने का भी आह्वान किया गया है। कांग्रेस जहां बीजेपी पर राजनीति करने का आरोप लगा रही है, वहीं बीजेपी भी यही बोल रही है कि राहुल गांधी की सजा को लेकर कांग्रेस राजनीति कर रही है।
अब सवाल उठता है कि क्या राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने और सुर्खियां पाने के लिए ही मानहानि जैसे मामले दर्ज कराए जाते हैं। तो चलिए बताते हैं, उन मानहानि मामलों के बारे में, जो बीजेपी सरकार के सत्ता में आने से पहले सुर्खियों में छाए थे।
कांग्रेस सरकार के दौरान राजनेताओं पर दायर मानहानि के मामले
- मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने भाजपा पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती के खिलाफ साल 2012 में मानहानि का मुकदमा किया था। उमा भारती ने साल 2003 में विधानसभा चुनाव के दौरान आरोप लगाया था कि दिग्विजय सिंह ने 15 हजार करोड़ का घोटाला किया है, लेकिन वे इस आरोप को साबित करने के लिए एक भी सबूत पेश नहीं कर पाईं।
- साल 2013 में दिल्ली में कांग्रेस की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का मामला दायर करवाया था। अरविंद केजरीवाल के खिलाफ यह आरोप है कि उन्होंने कई प्रदर्शनों के दौरान बिजली के दाम में बढ़ोतरी को लेकर शीला दीक्षित पर बेबुनियाद आरोप लगाए थे।
- दिल्ली की कांग्रेस की तत्कालीन मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने साल 2013 में भारतीय जनता पार्टी के नेता विजेंदर गुप्ता के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था। शीला दीक्षित ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि भाजपा नेता ने निकाय चुनाव में राजनीतिक लाभ लेने के लिए चुनाव से पहले उनके खिलाफ असभ्य भाषा का इस्तेमाल किया था।
इसके साथ ही कई और भी मानहानि के मामले हैं, जो कांग्रेस की सरकार में राजनेताओं के खिलाफ दायर हुए। मसलन, एआईएडीएमके की नेता जे जयललिता ने डीएमडीके के नेता विजयकांत पर साल 2012 में मानहानि का मामला दर्ज करवाया था। जेडीयू के नेता संजय सिंह ने 2013 में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ मामला दर्ज करवाया था। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह व साधना सिंह ने कांग्रेस के नेता अजय सिंह पर साल 2013 में मानहानि का मामला दर्ज करवाया था।
आखिर मानहानि होती क्या है
भारत के संविधान के अनुसार हर नागरिक को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता दी गई है, लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आप किसी दूसरे व्यक्ति का अपमान कर सकते हैं। आईपीसी की धारा 499 में मानहानि को इस तरीके से परिभाषित किया गया है। इसके अनुसार अगर कोई व्यक्ति बोलकर, लिखकर, पढ़कर, इशारों या तस्वीरों के जरिए किसी दूसरे व्यक्ति का अपमान कर रहा है, तो यह मानहानि के दायरे में आएगा।
मानहानि में सजा का क्या प्रावधान है
आईपीसी की धारा 500 में मानहानि के मामले में दोषी पाए जाने पर सजा का प्रावधान किया गया है। अगर कोई व्यक्ति किसी व्यक्ति की मानहानि का दोषी पाया जाता है तो उसे कम से कम दो साल की जेल या जुर्माना हो सकता है। इसके साथ ही दीवानी मामलों में मानहानि होने पर मुआवजा मांगा जाता है।