Haribhoomi Explainer: सुरों के सरताज मोहम्मद रफी साहब की 43वीं पुण्यतिथि, पढ़िए रफी साहब की कहानी

Haribhoomi Explainer: सुरों के सरताज मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) भले ही इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन आज भी वे अपने सदाबहार गानों के जरिए आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं। 31 जुलाई को महानतम गायक मोहम्मद रफी की 43वीं पुण्यतिथि है। 31 जुलाई 1980 के दिन तीन हार्ट अटैक आए थे। इलाज के दौरान रफी का निधन हो गया था। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको मोहम्मद रफी साहब और उनके कुछ गानों के बारे में बताते हैं।;

Update: 2023-07-30 19:00 GMT

Haribhoomi Explainer: हिंदी सिनेमा (Hindi Cinema) को एवरग्रीन गाने देने वाले मोहम्मद रफी (Mohammed Rafi) साहब ने आज ही के दिन 43 साल पहले दुनिया से विदा ले ली थी। रफी साहब के गुजरने के सालों बाद भी लोग उनके मेलोडियस गाने (Melodious Songs) सुनते और सराहते हैं। अपने करियर में न जाने कितने ही बेशकीमती नगमों से लोगों के दिलों को छूने वाले रफी साहब की पुण्यतिथि (Death Anniversary) पर लोग उन्हें याद कर रहे हैं तथा उनके गीतों को सुनकर उनके प्रति अपने प्रेम और सम्मान को व्यक्त कर रहे हैं। रफी वो गायक थे, जिनके गीतों को सुनकर देश के कई बड़े गायक बड़े हुए और शोहरत कमाई। आइए आज के हरिभूमि एक्सप्लेनर के माध्यम से हम आपको मोहम्मद रफी साहब और उनके कुछ गानों के बारे में में बताते हैं।

संगीत की दुनिया के बेताज बादशाह मोहम्मद रफी साहब को इस दुनिया से स्वर्ग सिधारे हुए चार दशक से अधिक समय बीत चुका है। लेकिन, आज भी भारतीय फिल्म इंडस्ट्री (Indian Film Industry) इससे ज्यादा आभारी नहीं हो सकती कि उनके जैसा महान कलाकार हिंदी सिनेमा का हिस्सा था। एक मधुर आवाज जो भारतीय फिल्म उद्योग (Indian Film Industry) में रोमांटिक धुनों (Romantic Tunes) की दिशा बदल सकती है। मोहम्मद रफी साहब के भावपूर्ण गीतों ने हिंदी सिनेमा को ऊंचाइयों को छुआ। रफी साहब कव्वाली (Qawwali), रोमांटिक और भक्ति सहित संगीत की सभी शैलियों में अपनी दिलकश आवाज से लाखों दिलों को पिघला दिया। रफी साहब भारतीय सिनेमा में रफी साहब शहंशाह-ए-तरन्नुम (Shahenshah-e-Tarannum) के नाम से मशहूर थे। तो आइए इस खास मौके पर उनके बारे में और उनके कुछ सदाबहार गानों पर एक नजर डालते हैं।

मात्र 13 साल की उम्र से गा रहे गाना

मोहम्मद रफी का जन्म 24 दिसंबर 1924 को हुआ था। रफी साहब ने 13 साल की उम्र से ही गाना गाना शुरू कर दिया था। रफी साहब ने अपने करियर में लगभग 26 हजार (26 Thousand) गाने गाए। उन्हें पहली बार के एल सहगल (KL Saigal) ने लाहौर (Lahore) में एक कॉन्सर्ट में गाने की परमिशन दी थी। उन्होंने 1948 में राजेंद्र कृष्णन का लिखा गाना सुनो सुनो ऐ दुनिया वालो बापूजी की अमर कहानी को गुनगुनाया था। रफी साहब के गाने से देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने रफी साहब को अपने घर गाने के लिए आमंत्रित किया था।

गाने की रिकॉर्डिंग करते हुए भावुक हो गए थे रफी साहब

रफी साहब ने कई ऐसे गाने भी गाए, जिनमें दर्द महसूस होता था। ऐसा ही एक सुपरहिट गाना फिल्म नीलकमल का था। ये गाना बाबुल की दुआएं लेती जा था। इस गाने को गाते हुए खुद रफी साहब रो पड़े थे। इस गाने की रिकॉर्डिंग के 2 दिन बाद ही रफी साहब की बेटी की शादी होनी थी। वे रिकॉर्डिंग के चलते कई बार इमोशनल हो गए थे। इस गाने के लिए रफी साहब को नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था।

किशोर दा की आवाज बने रफी

मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार को भी अपनी आवाज दी थी। रफी साहब ने किशोर दा (किशोर कुमार) के लिए 11 सॉन्ग्स गाए थे। वहीं, रफी साहब ने सबसे ज्यादा गाने दिग्गज संगीतकार लक्ष्मीकांत प्यारेलाल के लिए गाए थे। रफी साहब ने प्यारेलाल की फिल्मों के लिए करीब 369 गाने गाए थे। इसमें रफी साहब के 186 सोलो सॉन्ग थे। इसके अलावा उन्होंने फिल्म लैला मजनू और फिल्म जुगनू में एक्टिंग भी की थी। रफी साहब के निधन के बाद अंतिम विदाई के लिए करीब 10 हजार लोग शामिल हुए थे।

रफी साहब के लोकप्रिय गाने

बहारों फूल बरसाओ

फिल्म सूरज का यह सदाबहार गाना आज भी सभी पीढ़ियों के संगीत प्रेमियों द्वारा गुनगुनाया जाता है। प्रशंसक इस गाने को रफी साहब के सबसे यादगार गानों में से एक मानते हैं। इस गाने का खूबसूरत संगीत शंकर जयकिशन ने तैयार किया था और हसरत जयपुरी ने गीत लिखे थे। 

जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा

इस सदाबहार गाने में एक प्रेमी अपने पार्टनर से एक-दूसरे से किए गए वादों को हर हाल में पूरा करने के लिए कहता है। जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा 1963 की फिल्म ताज महल से है । इस ट्रैक में साहिर लुधियानवी के गीतों पर रफी की प्रस्तुति आज भी युवा पीढ़ी को खूब पसंद आती है।

क्या हुआ तेरा वादा

क्या हुआ तेरा वादा 1977 की फिल्म हम किसी से कम नहीं से है। इस गाने को अक्सर संगीत प्रेमियों द्वारा गाया जाता है। आरडी बर्मन का प्रसिद्ध संगीत इस गीत को और मनोरम बनाता है। रफी साहब की जादुई आवाज इसे सबसे प्रिय गीतों में से एक बनाती है।

दिल का भंवर करे पुकार

देव आनंद और नूतन के आकर्षण एसडी बर्मन की धुन और मोहम्मद रफी की सुरीली आवाज ने दिल का भंवर करे पुकार को चार्टबस्टर बना दिया। इस गाने में देव आनंद और नूतन की अद्भुत ऑनस्क्रीन केमिस्ट्री को देखकर कई पीढ़ियां बड़ी हुई हैं। 1963 की फिल्म तेरे घर के सामने का गाना प्यार के सार को खूबसूरती से दर्शाता है।

कर चले हम फिदा

1964 की फिल्म हकीकत का यह गाना सबसे महान देशभक्ति गीत माना जाता है। यह गाना स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस समारोह का एक अनिवार्य हिस्सा बन गया है। मोहम्मद रफी की आवाज, मदन मोहन की रचना और कैफी आजमी के बोल इस अद्भुत गीत को सुनने वाले के मन में गर्व और देशभक्ति का उत्साह पैदा कर देते हैं।

ये चांद सा रोशन चेहरा

हम सभी यह स्वीकार कर सकते हैं कि किसी भी पीढ़ी से होने के बावजूद, हर फिल्म प्रेमी इस गाने के बोल अपनी जुबान पर रखता है। शक्ति सामंत की 1964 में निर्देशित कश्मीर की कली से संबंधित, ये चांद सा रोशन चेहरा एक महिला की सुंदरता को खूबसूरती से परिभाषित करता है। महान गायक की मंत्रमुग्ध कर देने वाली आवाज में, ये चांद सा रोशन चेहरा शम्मी कपूर और अनुभवी अभिनेत्री शर्मिला टैगोर की अनोखी केमिस्ट्री से कम नहीं लगता है।

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ये रेशमी जुल्फें ये शरबती आंखें

जब हिंदी सिनेमा में रोमांटिक ट्रैक की बात आती है, तो मोहम्मद रफी का ये रेशमी जुल्फें ये शरबती आंखें 60 के दशक के सबसे लोकप्रिय ट्रैक में से एक है। वीडियो वास्तव में आंखों के लिए एक दृश्य है जब एक सुंदर राजेश खन्ना एक आकर्षक पृष्ठभूमि के साथ मुमताज की प्रशंसा करते हैं, जो गाने में मंत्रमुग्ध कर देने वाली सुंदरता जोड़ता है। 1969 की फिल्म दो रास्ते से संबंधित इस गाने को संगीतकार लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल ने संगीतबद्ध किया था।

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