Monsoon update: केरल में मानसून ने दी दस्तक, उत्तर भारत के राज्यों में कब होगी एंट्री

Monsoon update: भारत के लोगों के लिए राहत की खबर है। मौसम विभाग ने बताया कि केरल में मानसून (Monsoon) ने दस्तक दे दी है। दक्षिण-पूर्व अरब सागर (Arabian Sea) के ऊपर भी बादल छाए हुए हैं और निचले स्तरों में पछुआ हवाओं की ताकत बढ़ गई है। जानें उत्तर भारत के राज्यों में कब तक होगी मानसून की एंट्री।;

Update: 2023-06-08 11:09 GMT

Monsoon update: मौसम (Weather) के मिजाज में भी बदलाव देखने को मिल रहा है। कहीं बारिश की फुहारें पड़ रही हैं, तो कहीं गर्मी ने लोगों के पसीने छुड़ा दिए हैं। लोगों को मानसून (Monsoon) का बेहद दिन से इंतजार है। इसी बीच मौसम विभाग (IMD) ने गुरुवार को लोगों को राहत भरी खबर दी है। एक हफ्ते के बाद मानसून ने केरल (Kerala) में दस्तक दी है। इससे पहले 5 जून को, मौसम विभाग ने कहा था कि अगले दो दिनों में केरल में मानसून के आगमन की उम्मीद है। बिपरजॉय तूफान की वजह से इस बार मानसून को आने में भी कुछ समय लगा है।

आईएमडी ने कहा कि पिछले 24 घंटों के दौरान केरल में व्यापक बारिश (Rain) हुई है। दक्षिण-पूर्व अरब सागर (Arabian Sea) के ऊपर भी बादल छाए हुए हैं और निचले स्तरों में पछुआ हवाओं की ताकत बढ़ गई है। यह मानसून के आने की शर्तों को पूरा करता है। पिछले 20 सालों में कभी भी 8 जून के बाद मानसून की शुरुआत नहीं हुई है। दक्षिण भारत के राज्य केरल में पिछले वर्ष मानूसन 21 मई को पहुंच गया था। वहीं, वर्ष 2021 में 3 जून को दस्तक दी थी।

उत्तर भारत में कब तक पहुंचेगा मानसून

मौसम विभाग के मुताबिक, लक्षद्वीप, केरल व दक्षिण तमिलनाडु के अधिकांश हिस्सों, कोमोरिन क्षेत्र के शेष हिस्सों, मन्नार की खाड़ी, दक्षिण पश्चिम, मध्य और पूर्वोत्तर बंगाल की खाड़ी सहित कुछ और हिस्सों में आगे की तरफ बढ़ रहा है। इसके बाद मानसून उत्तर भारत (North India Monsoon) के राज्यों यूपी, बिहार, दिल्ली, राजस्थान, झारखंड, पंजाब और हरियाणा में पहुंचेगा। इस बार दस दिन की देरी से मानसून उत्तर भारत में प्रवेश करेगा। हालांकि, मौसम विभाग का यह भी कहना है कि दक्षिण भारत के राज्य में मानसून में देरी होने के साथ ही यह उत्तर भारत के राज्यों में भी देरी से दस्तक देगा।

मानसून से भारत, श्रीलंका, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देश प्रभावित होते हैं। भारत में भी मानसून का सबसे ज्यादा महत्व है क्योंकि यहां पर ज्यादातर खेती मानसून पर ही निर्भर होती है। चाय और चावल जैसी कई फसलें हैं, जो इसी पर टिकी होती हैं। 

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